क्षमा वीरों का आभूषण है: गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर



पर्युषण पर्व का महत्वपूर्ण दिवस क्षमायाचना: मुनिश्री कमलकुमार




बीकानेर, 14 सितंबर। जैन महासभा बीकानेर द्वारा गंगाशहर तेरापंथ भवन में संपूर्ण जैन समाज का सामूहिक क्षमायाचना कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें तेरापंथ समाज से आचार्य श्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री कमलकुमारजी स्वामी और खरतरगच्छ श्रीसंघ से गणिवर्य मुनिश्री मेहुलप्रभ जी का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ। मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि जैन धर्म का प्रमुख पर्व पर्युषण है और इसका सबसे महत्वपूर्ण दिवस क्षमायाचना का होता है। उन्होंने बताया कि इस बार श्वेतांबर समाज में अधिकांशतः चतुर्थी को संवत्सरी थी, जो आचार्य श्री महाश्रमण जी की उदारता का परिणाम है, अन्यथा चतुर्थी और पंचमी की अलग-अलग तिथियों के कारण एकता का वातावरण नहीं बन पाता। उन्होंने जैन महासभा के इस प्रयास की सराहना की कि पर्युषणों के बाद सामूहिक क्षमापना का आयोजन किया जाए, जिससे सभी एक साथ ‘खमत खामणा’ कर सकें। मुनिश्री ने कहा कि सभी संप्रदायों के उपासना स्थल अलग हो सकते हैं, लेकिन सबका लक्ष्य आत्मशुद्धि का है। उन्होंने सभी से क्षमा याचना की।


इस अवसर पर खरतरगच्छ श्रीसंघ के गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर ने अपने वक्तव्य में कहा, “क्षमा वीरस्य भूषणम्, यानी क्षमा वीरों का आभूषण है। कोई कितना भी कष्ट दे, हमें क्षमा का भाव नहीं छोड़ना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भगवान महावीर की आराधना करते हुए हमें उपशम और क्षमा का भाव धारण करना चाहिए। दिल में क्षमा का होना, क्षमा देने वाला और क्षमा मांगने वाला, तीनों ही उत्तम हैं। क्षमा मांगने वाला विनम्र होता है, इसलिए हमें अपने भीतर उदारता का भाव धारण करना चाहिए।
पूर्व अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने जैन महासभा की ओर से सभी का स्वागत किया और सबसे ‘खमत खामाणा’ किया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष से ‘तपोभिनन्दन समारोह’ चातुर्मास समाप्ति से पहले अंतिम रविवार को आयोजित किया जाएगा, और इस साल यह समारोह 2 नवंबर को होगा। पूर्व अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने जैन महासभा की विभिन्न गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी।

इस अवसर पर दिगम्बर संघ से महावीर जैन, तपःगच्छ से विकास सिरोहिया, खरतरगच्छ से अजितमल खजांची, पार्श्र्वगच्छ संघ से प्रताप रामपुरिया, जैन रत्न हितेशी संघ से इन्द्रमल सुराणा, ज्ञान गच्छ संघ से गुलाब दफ्तरी, हुक्मगच्छीय शान्त क्रान्ति संघ गंगाशहर भीनासर से भीखमचन्द लुणिया, अरिहन्तमार्गी संघ से जयचन्दलाल सुखानी, तेरापंथी सभा गंगाशहर से मंजू आंचलिया, तेरापंथी सभा बीकानेर से सुन्दरलाल झाबक, साधुमार्गी संघ गंगाशहर भीनासर से कन्हैयालाल बोथरा, आचार्य तुलसी शान्तिप्रतिष्ठान से गणेशमल बोथरा, सर्मथ गच्छ से हरवंशलाल जी जैन, साधुमार्गी संघ बीकानेर से हेमन्त सिंगी, खरतगच्छ युवा परिषद् से अभिषेक डागा, जैन महासभा महिला विंग से श्रीमती प्रिती डागा, जैन यूथ क्लब से प्रवीण सुराणा ने अपने अपने संघों व संस्थाओं की तरफ से क्षमायाचना की। इस कार्यक्रम में जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कोचर, चम्पकमल सुराणा, इन्द्रमल सुराणा, जयचन्दलाल डागा, जैन लूणकरण छाजेड़ व जैन समाज के अनेक सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का कुशल संचालन संगठन मंत्री जतनलाल संचेती ने किया। आभार ज्ञापन जयचंदलाल डागा ने किया। यह कार्यक्रम जैन महासभा, बीकानेर के द्वारा आपसी मतभेदों को भुलाकर सभी जैन समाज को एक साथ लाने का एक सफल प्रयास था।