गीतकार राजाराम स्वर्णकार का अभिनंदन



बीकानेर ,17 सितम्बर। बीकानेर में शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान द्वारा गीतकार राजाराम स्वर्णकार का उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए अभिनंदन किया गया। इस समारोह में वक्ताओं ने उन्हें बीकानेर की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का एक प्रमुख हिस्सा बताया।
साहित्य के दैदीप्यमान नक्षत्र
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, कवि और कथाकार राजेंद्र जोशी ने राजाराम स्वर्णकार की प्रशंसा करते हुए उन्हें साहित्य जगत का एक दैदीप्यमान नक्षत्र बताया। उन्होंने कहा कि स्वर्णकार के गीतों में भक्ति, श्रृंगार और वीर रस का सुंदर संगम देखने को मिलता है। इसी तरह, डॉ. अजय जोशी ने उन्हें बीकानेर की साहित्यिक परंपरा का सच्चा संवाहक बताया, जिन्होंने सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ अपनी कलम चलाई और समाज के सकारात्मक पहलुओं को भी उजागर किया।




सरल, सहज, और लयबद्ध रचनाएं
सखा संगम के अध्यक्ष एनडी रंगा ने कहा कि राजाराम स्वर्णकार की रचनाएं सहज और सरल होने के बावजूद गहरे अर्थ समेटे हुए होती हैं, जिन्हें पाठक आसानी से समझ पाते हैं। उन्होंने स्वर्णकार को वर्तमान में लयबद्ध लेखन की चुनौती पर खरा उतरने वाला रचनाकार बताया। डॉ. हरि शंकर आचार्य ने भी उनके योगदान को अनुकरणीय बताया।


स्वर्णकार ने साझा कीं अपनी चुनिंदा रचनाएं
सम्मान से अभिभूत राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि उन्होंने अपने परिवेश से जो कुछ देखा और समझा, उसे अपनी रचनाओं के माध्यम से व्यक्त करने का प्रयास किया है। उन्होंने इस अवसर पर अपनी कुछ चुनिंदा राजस्थानी रचनाएँ भी सुनाईं, जिनमें “काळ घटा छाई दुनिया में…” और “रचो तो काळजयी कविता…” जैसी पंक्तियाँ शामिल थीं, जिन्होंने श्रोताओं की खूब तालियाँ बटोरीं।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने स्वर्णकार को माला, साफा, शॉल, श्रीफल और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया। डॉ. गौरी शंकर प्रजापत और प्रेम नारायण व्यास ने उनके साहित्यिक और व्यक्तिगत अवदान पर प्रकाश डाला। हास्य कवि बाबू लाल छंगाणी ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि ज्ञानेश्वर सोनी और गौरी शंकर सोनी ने स्वर्णकार के गीतों को स्वर दिया।