डॉ. रवींद्र मंगल हर शिक्षक के लिए हमेशा अनुकरणीय रहेंगे



बीकानेर , 24 सितम्बर। राजस्थान की धरती ने कई विद्वान और कर्मठ व्यक्तियों को जन्म दिया है, और उन्हीं में से एक थे डॉ. रवींद्र मंगल। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से शिक्षा और छात्रों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनकी अकादमिक उपलब्धियाँ और शिक्षण के प्रति उनका गहरा लगाव उन्हें एक असाधारण व्यक्तित्व बनाते हैं।




शिक्षा और करियर
डॉ. मंगल अपने छात्र जीवन में बेहद मेधावी थे। उन्होंने बी.एससी., एम.एससी., एम. फिल. और पी.एच.डी. जैसी उच्च उपाधियाँ प्राप्त कीं। उन्हें आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शोध का अवसर मिला था, लेकिन छात्रों और शिक्षण कार्य के प्रति उनके लगाव ने उन्हें कॉलेज शिक्षा विभाग में काम करने के लिए प्रेरित किया। 10 सितंबर 1984 को उन्होंने भौतिकशास्त्र विषय में व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू किया।



एक समर्पित शिक्षक
राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर में तीन दशकों से अधिक समय तक अध्यापन करते हुए, डॉ. मंगल ने छात्रों के लिए एक मित्र और मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। उन्होंने “लर्निंग बाई डूइंग” जैसे नवाचारों को बढ़ावा दिया, जिससे छात्रों को व्यावहारिक तरीके से सीखने में मदद मिली। उनके निर्देशन में 7 शोधार्थियों ने पी.एच.डी. और 10 छात्रों ने एम. फिल. की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपने विषय पर 9 पुस्तकों का भी लेखन किया। उनकी ईमानदारी और समर्पण को देखते हुए, राजस्थान सरकार ने 2018 में उन्हें राज्यस्तरीय सम्मान से नवाजा।
व्यक्तित्व और विरासत
डॉ. मंगल का व्यक्तित्व ओजस्विता, तेजस्विता और ऊर्जस्विता का एक अद्भुत संगम था। उनके संपर्क में आने वाले हर छात्र और शिक्षक ने उनके मधुर व्यवहार और सहायता के लिए तत्परता की सराहना की। उन्होंने हमेशा छात्रहितों को सर्वोपरि माना और उनके सपनों को साकार करने में मदद की। उनका अचानक चले जाना शिक्षा जगत के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी भावनाएँ और आदर्श हर शिक्षक के लिए हमेशा अनुकरणीय रहेंगे। उनकी यादें उनके छात्रों, मित्रों और सहकर्मियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी।

