लापता पत्रकार राजीव प्रताप की मौत के पीछे की साजिश ?



उत्तरकाशी , 29 सितम्बर। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 18 सितंबर 2025 को लापता हुए स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप (36 वर्षीय) का शव 28 सितंबर को जोशियाड़ा बैराज की झील से बरामद हो गया। राजीव ‘दिल्ली-उत्तराखंड लाइव’ नामक यूट्यूब चैनल चलाते थे, जहां वे स्थानीय मुद्दों जैसे भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर रिपोर्टिंग करते थे। पुलिस ने इसे सड़क दुर्घटना बताया है, लेकिन परिवार और सहयोगी साजिश का शक जता रहे हैं। आइए, घटना की पूरी कथा और संभावित साजिश के पहलुओं पर नजर डालें।




लापता होने की शुरुआत: 18 सितंबर की रात 11 बजे राजीव की आखिरी कॉल पत्नी मुस्कान से हुई। वे गंगोत्री क्षेत्र से लौट रहे थे। अगले दिन 19 सितंबर को उनकी क्षतिग्रस्त कार भागीरथी नदी के किनारे मिली, लेकिन अंदर कोई शव नहीं था। साथ सफर कर रहे व्यक्ति ने बताया कि वे रास्ते में उतर गए थे।
परिवार की शिकायत: मुस्कान ने कोतवाली उत्तरकाशी में गुमशुदगी की FIR दर्ज कराई, जो बाद में अपहरण (BNS 140(3)) की धाराओं में बदल गई। उन्होंने बताया कि राजीव को इलाके में कई दुश्मन थे, खासकर भ्रष्टाचार उजागर करने वाली रिपोर्ट्स के कारण।



लापता होने और कार मिलने का घटनाक्रम
लापता: पुलिस के अनुसार, राजीव प्रताप बीते 18 सितंबर की रात अपने दोस्त शोभन सिंह की कार लेकर ज्ञानसू से गंगोत्री के लिए निकले थे, जिसके बाद वह नहीं लौटे।
शिकायत: अगले दिन सुबह जब वह वापस नहीं आए, तो उनके दोस्त ने पुलिस को सूचना दी और खोजबीन शुरू हुई।
कार मिली: 19 सितंबर को पुलिस को स्यूणा गांव के पास भागीरथी नदी के बीच में कार मिली, लेकिन उसमें राजीव प्रताप मौजूद नहीं थे।
जांच: परिजनों ने नगर कोतवाली में गुमशुदगी की तहरीर दर्ज कराई। पुलिस, एसडीआरएफ (SDRF), और अन्य टीमों ने नदी में खोजबीन की और सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले, लेकिन राजीव का कोई पता नहीं चल पाया था।
शव की बरामदगी
डीएम और एसपी के निर्देश पर एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ और क्यूआरटी टीम ने रविवार को गंगोरी से लेकर चिनियाली सॉन्ग तक नदी में व्यापक खोजबीन अभियान चलाया था। इसी दौरान टीम को जोशियाड़ा बैराज में एक शव दिखाई दिया। टीम ने शव को बैराज से बाहर निकालकर पुलिस को सौंपा, जिसके बाद परिजनों ने मृतक की पहचान राजीव प्रताप के रूप में की। पुलिस इस मामले में आगे की वैधानिक कार्रवाई कर रही है।
खोज अभियान: NDRF, SDRF, पुलिस और स्थानीय टीमों ने 10 दिनों तक नदी-झील और आसपास के इलाकों में सर्च चलाया। 28 सितंबर सुबह 10:40 बजे आपदा प्रबंधन विभाग को झील में शव दिखा, जिसे बरामद कर जिला अस्पताल की मोर्चरी भेजा गया।
पोस्टमॉर्टम का इंतजार: मौत का सटीक कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर निर्भर। पुलिस का प्रारंभिक अनुमान: कार नदी में फिसल गई।
मौत के पीछे की संभावित साजिश: परिवार के आरोप
परिवार इसे महज हादसा नहीं मान रहा। मुस्कान ने खुलासा किया:
धमकियों का सिलसिला: 11-12 सितंबर को राजीव ने यूट्यूब पर “उत्तरकाशी के हॉस्पिटल की ये बदहाली क्यों?” नामक वीडियो अपलोड किया, जिसमें जिला अस्पताल की जर्जर हालत (दवाओं की कमी, गंदगी, भ्रष्टाचार) दिखाई। वीडियो वायरल होने के बाद अज्ञात नंबरों से धमकियां आईं: “वीडियो हटा दो, वरना जान से मार देंगे।” राजीव परेशान थे और अस्पताल/स्कूलों पर आगे रिपोर्टिंग की योजना बता रहे थे।
साजिश का शक: मुस्कान का कहना है, “यह अपहरण था। कार नदी में गिरना संभव नहीं, क्योंकि राजीव सतर्क ड्राइवर थे।” परिवार ने इलाके के प्रभावशाली लोगों (अस्पताल प्रशासन या भ्रष्ट तत्वों) से दुश्मनी का जिक्र किया। X (पूर्व ट्विटर) पर कई यूजर्स ने इसे “भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा” बताया।
पिछले उदाहरण: भारत में पत्रकारों पर हमले आम हैं। छत्तीसगढ़ के मुकेश चंद्राकर (2024) की हत्या भी भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग से जुड़ी थी। यूपी के राघवेंद्र बाजपेयी (2025) की हत्या में तांत्रिक ने सुपारी दी थी। ये घटनाएं साजिश के पैटर्न को दर्शाती हैं।
Please help find the missing person if you have seen this face, try to tell them.
SP Office Uttarkashi- 01374-222116
SHO Kotwali Uttarkashi- 9411112862
IO- 9149054083 pic.twitter.com/i3UPJIUyo9— Uttarkashi Police Uttarakhand (@UttarkashiPol) September 26, 2025
आधिकारिक प्रतिक्रिया और जांच
मुख्यमंत्री का बयान: पुष्कर सिंह धामी ने शोक व्यक्त किया और “गहन, निष्पक्ष जांच” के आदेश दिए। परिवार को सहायता का आश्वासन।
पुलिस की स्थिति: एसआई दिलमोहन बिष्ट ने शव की पहचान पुष्टि की। जांच में धमकियों की कॉल रिकॉर्ड्स, CCTV फुटेज और गवाहों की पूछताछ शामिल। लेकिन परिवार का आरोप: धमकियों की पहले शिकायत पर कार्रवाई न हुई।
सामाजिक प्रतिक्रिया: X पर #JusticeForRajeev ट्रेंड कर रहा। IIMC के पूर्व साथी (राजीव IIMC दिल्ली के पूर्व छात्र थे) ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप मांगा। विपक्षी नेता जैसे उदय भानु चिब ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” कहा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ पत्रकार श्री राजीव प्रताप जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदनाएँ प्रकट करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है। मुख्यमंत्री ने घटना की गहन एवं निष्पक्ष जाँच के भी निर्देश दिए…
— CM Office Uttarakhand (@ukcmo) September 28, 2025
क्या साजिश साबित हो सकती है?
हादसे के पक्ष में: नदी का उफान, क्षतिग्रस्त कार—ये दुर्घटना के संकेत। मौसम खराब था।
साजिश के पक्ष में: समय संदिग्ध (रिपोर्ट के ठीक बाद), धमकियां दर्ज, कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं। पोस्टमॉर्टम में चोटों या जहर के निशान मिल सकते हैं।
चुनौतियां: ग्रामीण इलाका, सीमित CCTV। लेकिन CM के आदेश से SIT गठित हो सकती है।
यह घटना न केवल एक पत्रकार की मौत है, बल्कि प्रेस फ्रीडम पर सवाल। सच्चाई उजागर करने वाले राजीव जैसे योद्धाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। जांच पूरी होने पर ही साजिश का पर्दाफाश होगा। ईश्वर परिवार को संबल दें।- थार एक्सप्रेस परिवार

