‘हथाई’ कार्यक्रम में गूंजा शिवराज छंगाणी का साहित्यिक संसार


- राजस्थानी भाषा के संवर्धन हेतु किए महत्ती कार्य
बीकानेर, 21 नवंबर । अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम ‘हथाई’ के तहत आज राजस्थानी के मूर्धन्य कवि एवं लेखक शिवराज छंगाणी के साहित्यिक रचना संसार पर चर्चा की गई। युवा लेखक आनन्द छंगाणी ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिवराज छंगाणी ने अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए राजस्थानी भाषा के संवधर्न एवं प्रचलन हेतु अनेक कालजयी रचनाएं लिखीं।
पद्य और गद्य में अमूल्य योगदान
आनंद छंगाणी ने बताया कि शिवराज छंगाणी ने राजस्थानी में गद्य और पद्य दोनों में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उनके गीत बहुत प्रचलित हुए, जिनकी कविताओं में छंदमय एवं तुकबन्दी स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। वहीं गद्य में उन्होंने सामाजिक कुरितियों और सामंतवादी प्रथा पर तंज कसते हुए प्रसिद्ध रचनाओं का सृजन किया।



कार्यक्रम समन्वयक संजय श्रीमाली ने बताया कि शिवराज छंगाणी के रेखाचित्र विशेष रूप से रोचक और पठनीय हैं। उनके रेखाचित्र मुख्य रूप से बीकानेर पर केंद्रित रहे, जिनमें बीकानेरियत की गहरी झलक मिलती है। चित्रकार योगेन्द्र पुरोहित ने कहा कि शिवराज छंगाणी ने शब्दों के माध्यम से चित्र रचे हैं, जिनमें बीकानेर की संस्कृति को देखा जा सकता है।
रचनाओं का हुआ काव्य पाठ
कार्यक्रम के अंत में युवा लेखकों ने शिवराज छंगाणी की लोकप्रिय रचनाओं का काव्य पाठ किया। इनमें मोहम्मद सुल्तान ने राजस्थानी भाषा पर केंद्रित “जय-जय राजस्थानी”, सपना ओझा ने दीपावली पर “रात-रात भर दिवळो जागयो…”, आशीष छंगाणी ने “मरूधर म्हारो देस…”, नवरतन ओझा ने “उमड़-घुमड़ जळ बरस रैया…”, और मुकेश छंगाणी ने “रिसवत रो रोग….” सहित अन्य प्रसिद्ध गीतों का वाचन किया।











