श्रेष्ठ देखभाल और पोषण शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार” पर माताओं से संवाद


- नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का समापन
बीकानेर, 21 नवंबर । राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल जागरूकता सप्ताह के समापन के अवसर पर, शुक्रवार को जस्सूसर गेट के बाहर नवजात शिशुओं की माताओं के साथ एक संवाद और परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा निर्देशित था: “सुरक्षा, गुणवतापूर्ण और पोषण, देखभाल-प्रत्येक शिशु का जन्म सिद्ध अधिकार है।”
छह माह तक स्तनपान है सर्वोत्तम आहार
नियोनेटोलॉजी फोरम, राजपुताना (एन.एन.एफ राजपुताना) की ओर से आयोजित इस शिविर में मुख्य वक्ता डॉ. खुर्शीदा खान कायमखानी (नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ) ने कहा कि नवजात शिशु को संक्रमण, श्वसन संकट और जन्म संबंधी जटिलताओं से बचाने के लिए माताओं और परिजनों में जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने माताओं से अपील की कि वे अपने बच्चों को पहले छह माह तक केवल अपना दूध अवश्य पिलाएँ। उन्होंने बताया कि स्तनपान नवजात शिशुओं के लिए सबसे अच्छा आहार है, जो डायरिया, पेचिश और श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियों से बचाव करता है। डॉ. खुर्शीदा ने कंगारू मदर केयर (KMC) के महत्व को भी समझाया, जिससे बच्चे का तापमान नियंत्रित रहता है और कई बीमारियों से बचाव होता है।



चिकित्सकीय सलाह और अंधविश्वासों से बचाव
डॉ. खुर्शीदा ने माताओं को नवजात शिशु की नाल (Umbilical Cord) पर किसी भी तरह का तेल या सामग्री न लगाने की सलाह दी, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा होता है। उन्होंने कहा कि नाल अपने आप सूख कर झड़ जाती है। वहीं, बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ और एन.एन.एफ. के एक्जीक्यूटिव बोर्ड सदस्य डॉ. श्याम अग्रवाल ने कहा कि नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए जीवन के पहले एक माह में उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल की सार्वभौमिक आवश्यकता है। उन्होंने अनुवांशिक बीमारियों, अंधविश्वासों और रूढ़िवादी तरीकों से नवजात शिशु के पालन पोषण से बचने की सलाह दी।



डॉ. अग्रवाल ने नवजात शिशुओं की हाइपोथायरायडिज्म, जी.6, पीडी डेफिशिएंसी, कार्डियाक और हियरिंग स्क्रीनिंग जैसी जन्मजात बीमारियों की जाँच के महत्व पर ज़ोर दिया। कार्यक्रम के अंत में माताओं ने नियमित रूप से शिशु को अपना दूध पिलाने का संकल्प दोहराया।








