महायोगी श्री विवेकनाथ जी महाराज का $59$वां निर्वाण दिवस भक्ति और श्रद्धा के साथ संपन्न


बीकानेर, 12 दिसंबर । नत्थूसर बास स्थित श्री नवलेश्वर मठ सिद्धपीठ, श्री विवेकनाथ जी की बगेची में आज महायोगी श्री विवेकनाथ महाराज का 59वां निर्वाण दिवस (58वीं बरसी) अत्यंत श्रद्धा, भक्ति, साधना और वैदिक परंपराओं के साथ मनाया गया। इस भव्य आयोजन का संयोजन मठ के अधिष्ठाता पूज्य योगी शिवसत्यनाथ जी महाराज के पावन सान्निध्य में किया गया।



वैदिक अनुष्ठान और गुरु परंपरा का पूजन
प्रातःकाल आरंभ हुए इस आयोजन में पंडित जुगलकिशोर जी ओझा (पुजारी बाबा) और मठ के पुजारी रामप्रसाद पुरोहित के आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चार और विधिवत पूजा-अनुष्ठान संपन्न हुए। गुरु परंपरा की परंपरागत रीति से पूज्य महायोगी श्री विवेकनाथ जी महाराज जी की समाधि का पूजन किया गया। इस पूजन में वैदिक मंत्रों, महिम्न, रुद्रीपाठ, अष्टाध्याय के मंत्रों व पंचामृत से अभिषेक अनुष्ठान किया गया। इसके बाद गुरु-वंदना एवं दर्शन का क्रम चला, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संतों सहित काफी श्रद्धालु भक्तगणों की उपस्थिति रही।



संत-महात्माओं का आशीर्वचन
इस दिव्य आयोजन में पूज्य योगी शिव सत्यनाथ जी महाराज के साथ अनेक संत-महात्माओं की भी उपस्थिति रही। इनमें शिवमठ शिवबाड़ी श्री लालेश्वर महादेव मंदिर के विमर्शानन्द गिरि जी महाराज, श्री सरजूदास जी महाराज (महात्यागी पीठाधीश्वर श्री राम झरोखा कैलाश धाम), योगी विलासनाथ जी महाराज, योगी ओमनाथ जी महाराज सहित अन्य पूज्य संत उपस्थित रहे। सभी संतों ने अपना आशीर्वचन देते हुए पूज्य महायोगी श्री विवेकनाथ जी महाराज की साधना-धारा, उनके द्वारा स्थापित गुरु परंपरा और मानव कल्याण के लिए समर्पित जीवन पर प्रकाश डाला। संतों के आशीर्वचन के उपरांत सभी संत-महात्माओं की सामूहिक पंगत लगी, जिसमें सामूहिक प्रसादी ग्रहण की गई।
विशाल भंडारा और आध्यात्मिक वातावरण
पूजन-अनुष्ठान के पश्चात आयोजित विशाल भंडारे में ग्रामीण भक्तों सहित सभी भक्तगणों व श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में गुरु-प्रसाद ग्रहण किया। मठ के सेवकों और स्वयंसेवकों द्वारा सेवा-व्यवस्था अत्यंत सुचारू रूप से संचालित की गई। मठ के सेवादार नंदकिशोर गहलोत ने बताया कि इस दौरान पूरा नवलेश्वर मठ आध्यात्म, भक्ति और गुरु-परंपरा की दिव्यता से दिनभर भक्तिमय वातावरण से शोभायमान रहा। अधिष्ठाता पूज्य योगी शिवसत्यनाथ जी महाराज ने सभी संतों और श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह वार्षिक आयोजन गुरु-परंपरा की कृपा और भक्तों के सहयोग से निरंतर भव्य रूप लेता जा रहा है।








