न घोड़ा, न कार… भीलवाड़ा में तालाब के रास्ते निकली ‘नाव-बारात’


भीलवाड़ा, 14 दिसंबर। विवाह समारोहों में घोड़े, लग्जरी कारें और बैंड-बाजा तो सामान्य हैं, लेकिन भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र में एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सभी को रोमांचित कर दिया। लाखोला गांव में दूल्हा मांगीलाल जाट अपने पुत्र की शादी में सात सजी-धजी नावों के काफिले के साथ बारात लेकर तालाब के रास्ते निकला। डीजे पर नाचते-गाते बारातियों ने करीब $5$ किलोमीटर का सफर तय कर दुल्हन के गाँव बगैरा पहुँचे।



7 सजी नावों में 5 किलोमीटर का जलीय सफर
लाखोला गांव में 11 दिसंबर को हुई इस शादी में परिवार ने सड़क की बजाय तालाब के रास्ते बारात ले जाने का अनूठा फैसला लिया।
सजावट: इसके लिए कुल 7 नावों को फूल-मालाओं, लाइटों, गुब्बारों और पारंपरिक तरीके से भव्य रूप से सजाया गया। तालाब में उतरते ही नावों का यह काफिला एक अद्भुत उत्सव की तरह प्रतीत हो रहा था।
रोमांचक यात्रा: यह नाव-बारात लाखोला गांव से बगैरा गांव तक तालाब के जरिए लगभग 5 किलोमीटर की दूरी तय कर रमेश जाट के घर पहुंची। पानी की लहरों के बीच डीजे की आवाज और बारातियों का उत्साह इस सफर को बेहद रोमांचक बना रहा था।



हेलिकॉप्टर बारात से मिला आइडिया
दूल्हे के परिवार के सदस्यों ने बताया कि गांव में पहले हेलिकॉप्टर से बारात जाने की चर्चा ने उनके मन में कुछ अलग और यादगार करने का विचार पैदा किया। उन्होंने इस बार ऐसा आयोजन करने का निर्णय लिया, जो बिल्कुल नया हो, परंपरा से जुड़ा हो और गांव की पहचान बने। इसी सोच से यह नाव-बारात का विचार आया, जिसे पूरे परिवार और गाँव का भरपूर समर्थन मिला। नावों के काफिले में दूल्हे की नाव सबसे आगे थी, जिसके पीछे बाराती ढोल और डीजे की धुन पर नाचते-गाते आगे बढ़ रहे थे। तालाब के दोनों किनारों पर बड़ी संख्या में लोग इस अद्भुत और फिल्मी दृश्य को अपने मोबाइल में कैद करने के लिए जमा हो गए थे। किनारे पहुँचते ही ग्रामीणों ने तालियों से बारात का स्वागत किया और महिलाओं ने मंगल गीत गाए।
ग्रामीणों का कहना है कि यह नाव-बारात परंपरा और नवाचार के मेल का प्रतीक बन गई है, जो अब लाखोला गांव की एक यादगार पहचान होगी।
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