शहीदे-आज़म अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां की याद में गूंजे देशभक्ति के तराने


त्रिभाषा मुशायरे में शायरों ने दी ‘खिराज-ए-अकीदत’


बीकानेर, 21 दिसम्बर। फ्रेंड्स एकता संस्थान द्वारा महान क्रांतिकारी शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ के शहादत दिवस (यौमे-शहादत) के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय समारोह के दूसरे दिन शहर की फिजां देशभक्ति और अदब के रंग में डूबी रही। रविवार को आयोजित ‘त्रिभाषा कवि सम्मेलन एवं मुशायरा’ में हिंदी, उर्दू और राजस्थानी भाषा के तीन दर्जन से अधिक रचनाकारों ने अपनी कलम के माध्यम से शहीद को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि व समालोचक डॉ. उमाकांत गुप्त ने बीकानेर की साहित्यिक विरासत की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां के रचनाकारों की भाषा और बिम्बों में जो मिठास है, वह हिंदी जगत में एक विशिष्ट स्थान रखती है। उन्होंने कवियों द्वारा छोटी-छोटी पंक्तियों में विराट संदेश देने की कला को अद्भुत बताया। वहीं मुख्य अतिथि राजेंद्र जोशी ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि शहीदों की स्मृति को जीवंत रखना चुनौतीपूर्ण कार्य है और फ्रेंड्स एकता संस्थान इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने रचनाकारों को ‘सोशल एक्टिविस्ट’ बनकर समाज की विसंगतियों पर प्रहार करने का आह्वान किया।
मुशायरे का आगाज विशिष्ट अतिथि सागर सिद्दीकी की शानदार गजलों से हुआ, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संस्थान के अध्यक्ष वली मोहम्मद ग़ौरी ने विश्वास दिलाया कि शहीदों के बलिदान को याद करने का यह सिलसिला भविष्य में भी अनवरत जारी रहेगा। कार्यक्रम प्रभारी क़ासिम बीकानेरी ने स्वागत भाषण में कहा कि शहीदों के बताए मार्ग पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
देर रात तक चले इस काव्य उत्सव में कमल रंगा, इरशाद अज़ीज़, जुगल किशोर पुरोहित, डॉ. कृष्णा आचार्य, पुनीत रंगा, और जयपुर से आई मायामृग सहित अनेक दिग्गज रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से खूब वाहवाही लूटी। शायर इरशाद अज़ीज़ ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया और अलीमुद्दीन जमीनी ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।








