महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ के साहित्यिक और ऐतिहासिक योगदान पर बीकानेर में गोष्ठी आयोजित


बीकानेर , 7 नवम्बर। इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चर हेरिटेज (INTACH) और रोटरी क्लब सुप्रीम के तत्वावधान में बीकानेर में 7 नवंबर, 2025 को महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ के साहित्यिक योगदान पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री मनमोहन कल्याणी ने की, जबकि पृथ्वीराज रतनू ने सफल संचालन किया। इस दौरान, कृष्ण लाल बिश्नोई ने महाकवि की कालजयी कृति ‘वैली किसन रुक्मणी री’ पर विस्तृत चित्रण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि यह डिंगल भाषा में रचित 504 छंदों वाला एक अद्वितीय राजस्थानी खंड काव्य है, जिसमें कृष्ण-राधा के बारे में वर्णन है और जिसे साहित्यिक जगत में ‘पांचवां वेद’ भी कहा जाता है।



गोष्ठी में वक्ताओं ने पृथ्वीराज राठौड़ के बहुमुखी व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। श्री पृथ्वीराज रतनू ने महाकवि के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए बताया कि उन्होंने महाराणा प्रताप के पत्र के प्रत्युत्तर में पत्र भेजकर राजस्थान-मेवाड़ की आन-मान-शान को बचाया था। डॉ. नमामीशंकर आचार्य ने उन्हें कवि, योद्धा और ज्योतिष विद्वान बताते हुए उनकी कृष्ण भक्ति काव्य की गहनता पर प्रकाश डाला, जबकि डॉ. मोहम्मद फारुक ने उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति को चित्रित किया। अध्यक्ष श्री मनमोहन कल्याणी ने अपने उद्बोधन में महाकवि के साहित्य के संरक्षण और लेखन पर विचार दिए, और भंवरसिंह राठौड़ ने कहा कि उनका योगदान गौरवपूर्ण साहित्य एवं संस्कृति को नई दिशा देता है।











