आचार्य तुलसी दीक्षा शताब्दी वर्ष पर ‘भक्ति संध्या’ का आयोजन


राजराजेश्वरी नगर, 10 दिसम्बर। युगप्रधान शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी की शिष्या साध्वी श्री पुण्ययशा जी (ठाणा-4) के पावन सान्निध्य में राष्ट्रसंत आचार्य तुलसी के दीक्षा शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक विशेष रात्रिकालीन कार्यक्रम, “भक्ति संध्या – एक शाम तुलसी के नाम” आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम इमरतलाल देवड़ा के निवास स्थान “मधुवन” में आयोजित हुआ।



साध्वी श्री पुण्ययशा जी ने अपने मंगल उद्बोधन में आचार्य श्री तुलसी के अभूतपूर्व योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी ने आत्म-कल्याण के साथ जन कल्याण का जो कार्य किया है, उसे आने वाली सहस्राब्दियां भी विस्मृत नहीं कर पाएंगी। उन्होंने विशेष रूप से अणुव्रत के माध्यम से देश की एकता और नैतिकता को मजबूत करने के उनके क्रांतिकारी प्रयासों पर प्रकाश डाला। साध्वी जी ने संगीत के महत्व पर भी चर्चा करते हुए कहा कि संगीत में सत्य, शिव और सौंदर्य होता है, तथा यह हमें प्रभु और आत्मा दोनों से जोड़ता है।



भक्ति संध्या का मुख्य आकर्षण तीन जोड़ियां रहीं: मधुर संगायक गुलाब बाँठिया, देवेन्द्र नाहटा, और प्रसिद्ध गायिका हेमलता पिपाड़ा। तीनों कलाकारों ने अपने भावपूर्ण और मधुर गीतों से उपस्थित सभी लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम सांय 7:30 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक चला। इसकी शुरुआत बिड़दी और ईगल्टन की बहनों द्वारा की गई।
दिलखुश ने सभी का स्वागत किया और साध्वी श्री जी के प्रति आभार व्यक्त किया। साध्वी श्री वर्धमानयशाजी और साध्वी बेधिप्रभाजी ने भी मधुर गीतिकाएं प्रस्तुत कीं। खटेड़ परिवार द्वारा “ओ लाडनूं रो हीरो” गीत प्रस्तुत किया गया, जिसे खूब सराहा गया। कार्यक्रम के दौरान फिजियोथेरेपिस्ट श्रीमती कुसुम जैन को सम्मानित भी किया गया। श्रीमती संगीता देवड़ा ने कुशलतापूर्वक मंच का संचालन किया, जबकि श्रीमती सीमा दक ने आभार ज्ञापन किया।
इस अवसर पर राजराजेश्वरी नगर, मंडिया और बिड़दी से अच्छी संख्या में भाई-बहनों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में राजराजेश्वरी नगर सभाध्यक्ष राकेश छाजेड़, उपाध्यक्ष राजेश छाजेड़ सहित सुरेश देवड़ा, रमेश देवड़ा, इमरतलाल देवड़ा, कुशल देवड़ा, अजय छाजेड़, पदम खटेड़, जीतेन्द्र भंसाली, प्रदीप भंसाली आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। साध्वी श्री जी के मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।








