बीकानेर राजघराने का संपत्ति विवाद: कोर्ट और विभागीय फैसलों में राज्यश्री कुमारी को बढ़त, सिद्धि कुमारी को झटका



विवाद का सार
बीकानेर , 23 अक्टूबर। बीकानेर के पूर्व राजघराने का संपत्ति विवाद बुआ राज्यश्री कुमारी (पूर्व महाराजा करणी सिंह की बेटी) और उनकी भतीजी सिद्धि कुमारी (बीजेपी विधायक, बीकानेर पूर्व) के बीच लंबे समय से चल रहा है। यह विवाद महाराजा करणी सिंह (1988 में निधन) और राजमाता सुशीला कुमारी (2023 में निधन) की वसीयत से जुड़ा है, जिसमें जूनागढ़ किला, लालगढ़ पैलेस, करणी भवन और पांच ट्रस्टों (महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट, महाराजा राय सिंह ट्रस्ट, करणी सिंह फाउंडेशन, करणी चैरिटेबल ट्रस्ट, महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट) की संपत्तियों का प्रबंधन शामिल है। हालिया कोर्ट और देवस्थान विभाग के फैसलों ने राज्यश्री कुमारी को मजबूती दी है, जबकि सिद्धि कुमारी को ट्रस्टी पद और संपत्ति नियंत्रण में नुकसान हुआ है।




1 हालिया कोर्ट और विभागीय फैसले-



देवस्थान विभाग का नया आदेश (जनवरी 2025)
पुराना फैसला (27 मई 2024): देवस्थान विभाग ने सिद्धि कुमारी को पांच ट्रस्टों का ट्रस्टी नियुक्त किया था, जिसके तहत पुराने ट्रस्टी (राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी, हनुवंत सिंह) हटा दिए गए थे।
नया फैसला: मुंबई हाईकोर्ट के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए, देवस्थान विभाग ने अपना निर्णय पलट दिया। अब राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी, और हनुवंत सिंह को ट्रस्टी के रूप में मान्यता दी गई है। इससे सिद्धि कुमारी का ट्रस्टों पर नियंत्रण समाप्त हो गया है।
प्रभाव: राज्यश्री अब जूनागढ़ किला, लालगढ़ पैलेस और अन्य संपत्तियों के प्रबंधन में प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं।
2 जिला एवं सेशन कोर्ट, बीकानेर (एडीजे-3)
मामला: सिद्धि कुमारी ने 2023 में जिला न्यायाधीश संख्या-3, बीकानेर में वाद (संख्या 46/2023, CIS 53/2023) दायर किया, जिसमें दावा किया कि राज्यश्री कुमारी और मधुलिका कुमारी ने महाराजा करणी सिंह की वसीयत (26 जून 1986) के खिलाफ संपत्तियों पर कब्जा किया और खुरद-बुर्द करने की कोशिश की। सिद्धि ने स्वयं को प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) नियुक्त करने की मांग की।
राज्यश्री की याचिका: राज्यश्री ने जवाब में अस्थायी निषेधाज्ञा (Temporary Injunction) के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया, जिसमें कहा गया कि सिद्धि कुमारी अवैध रूप से संपत्तियों को हड़पने और प्रशासन में बाधा डाल रही हैं।
कोर्ट का फैसला: एडीजे-3, बीकानेर ने राज्यश्री के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि राज्यश्री वसीयत के अनुसार एकमात्र जीवित प्रशासक हैं और संपत्तियों का नियंत्रण उनके पास है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को वसीयत में उल्लिखित चल-अचल संपत्तियों को खुरद-बुर्द, बिक्री, हस्तांतरण या गिरवी रखने से रोक दिया (आदेश 39, नियम 1 और 2, धारा 151 CPC के तहत)। यह आदेश मूल वाद के निस्तारण तक लागू रहेगा।
अवमानना नोटिस: सिद्धि कुमारी सहित चार लोगों को संपत्ति जांच में बाधा डालने के लिए अवमानना नोटिस (फरवरी 2025) जारी किया गया। कोर्ट ने त्रिलोचन शर्मा को जांच कमिश्नर नियुक्त किया, लेकिन सिद्धि की ओर से पैलेस में प्रवेश रोका गया।
3 हाईकोर्ट का आदेश (अगस्त 2024)
राजस्थान हाईकोर्ट ने करणी चैरिटेबल फंड ट्रस्ट के बैंक खातों पर रोक लगाई, जिसमें केवल 50,000 रुपये मासिक निकासी की अनुमति दी गई। यह राज्यश्री की याचिका पर था, जो सिद्धि द्वारा ट्रस्टी बदलने और संपत्ति हस्तांतरण के खिलाफ थी।
दोनों पक्षों के दावे
सिद्धि कुमारी (बीजेपी विधायक):
दावा: राज्यश्री और अन्य ट्रस्टी संपत्तियों को बेच रहे हैं या खुरद-बुर्द कर रहे हैं। जूनागढ़ किला रिहायशी है, लेकिन होटल के रूप में इस्तेमाल हो रहा।
कार्रवाई: सिद्धि ने बीछवाल थाने में नवंबर 2024 में राज्यश्री और 7 अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की, जिसमें संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया।
राज्यश्री कुमारी (बुआ):
दावा: सिद्धि ने अवैध रूप से ट्रस्टी पद हथियाया और वसीयत का उल्लंघन किया। सिद्धि ने बाउंसरों का इस्तेमाल कर जूनागढ़ पैलेस में घुसपैठ रोकी।
कार्रवाई: राज्यश्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिद्धि पर गंभीर आरोप लगाए और कोर्ट में याचिका दायर की।
पांच ट्रस्टों का विवाद
ट्रस्टों की स्थिति: महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट, महाराजा राय सिंह ट्रस्ट, करणी सिंह फाउंडेशन, करणी चैरिटेबल ट्रस्ट, और महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट पर नियंत्रण का विवाद।
पहले: राज्यश्री इन ट्रस्टों को संभालती थीं।
सुशीला कुमारी के निधन के बाद (2023): सिद्धि ने ट्रस्टी बदलकर नियंत्रण ले लिया, लेकिन देवस्थान विभाग के नए फैसले ने पुराने ट्रस्टी (राज्यश्री, मधुलिका, हनुवंत) को बहाल कर दिया।
मूल्य: ट्रस्टों की संपत्तियां (जैसे जूनागढ़ किला, लालगढ़ पैलेस) 100 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित हैं।
वर्तमान स्थिति (23 अक्टूबर 2025)
कोर्ट में स्थिति: मामला लंबित है, कोई अंतिम फैसला नहीं। सिद्धि और राज्यश्री दोनों ने याचिकाएं दायर की हैं।
सोशल मीडिया: X पर #BikanerRoyalDispute ट्रेंड कर रहा है। यूजर्स ने लिखा, “राजघराने का झगड़ा कोर्ट तक, आम जनता को क्या फायदा?” (लगभग 500+ व्यूज, 10+ पोस्ट्स)।
प्रभाव:
- ट्रस्टों के सामाजिक कार्य (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य) प्रभावित।
- सिद्धि कुमारी की राजनीतिक छवि पर असर, खासकर बीकानेर में।
- स्थानीय स्तर पर चर्चा: ग्रामीणों में राजघराने की संपत्ति पर सवाल।
विश्लेषण
कानूनी दृष्टिकोण: कोर्ट ने राज्यश्री को वसीयत के आधार पर मजबूत माना, क्योंकि वे एकमात्र जीवित प्रशासक हैं। सिद्धि का दावा कमजोर पड़ा, क्योंकि उनके पास वसीयत का स्पष्ट समर्थन नहीं।
राजनीतिक असर: सिद्धि की बीजेपी विधायक के रूप में छवि को नुकसान हो सकता है, खासकर 2026 विधानसभा चुनाव से पहले।
सामाजिक प्रभाव: बीकानेर में राजघराने की विरासत पर जनता का विश्वास कम हुआ।

