शिव महापुराण कथा का समापन: “सनातन संस्कृति में शिव तत्व मानवता का कल्याण करने में निरत है – श्री राजेंद्र जोशी


बीकानेर, 31 जुलाई। परम पूज्य ब्रह्मलीन श्री स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज की पावन स्मृति में श्री लालेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा का सप्तम और अंतिम दिवस आज संपन्न हो गया। इस अवसर पर अधिष्ठाता पूज्य स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज के सान्निध्य में कथावाचक आचार्य राजेंद्र जोशी ने प्रवचन दिए।
आचार्य राजेंद्र जोशी ने शिव तत्व और ज्योर्तिलिंगों पर डाला प्रकाश
आचार्य राजेंद्र जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि “सनातन संस्कृति में शिव तत्व मानवता का कल्याण करने में निरत है।” उन्होंने शिव महापुराण की विभिन्न संहिताओं – रुद्र संहिता, कोटि रुद्र संहिता, उमा रुद्र संहिता और वायविय संहिता – पर विस्तृत प्रकाश डाला। जोशी जी ने भगवान शिव के ज्योर्तिलिंगों की उत्पत्ति और उनके महात्म्य के साथ-साथ नंदीश्वर अवतार पर भी गहन चर्चा की, जिससे भक्तों को शिव के विभिन्न स्वरूपों और उनकी लीलाओं का ज्ञान हुआ।




स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज का आशीर्वचन
पूज्य स्वामी श्री विमर्शानंदगिरि जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में क्षमायाचना के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम प्रतिदिन जाने-अनजाने में कुछ न कुछ ऐसी गलतियाँ करते हैं, जिन्हें मानवीय भूल कहा जा सकता है। यदि हम सर्वशक्तिमान भगवती के चरणों में अपनी क्षमायाचना करते हैं, तो वह भगवती न केवल भविष्य में हमें मार्गदर्शन करती हैं, बल्कि हमें होने वाली भूलों से भी बचाती हैं।


समापन समारोह और सहयोगी
मानव प्रबोधन प्रन्यास के विजेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि आज यज्ञ सम्राट पंडित नथमल जी पुरोहित का भी आशीर्वचन हुआ। इस सात दिवसीय कथा महोत्सव को सफल बनाने में घनश्याम साध, हिमांशु साध, आलोक साध, राजकुमार कौशिक, हरीशचंद्र शर्मा, घनश्याम स्वामी, भवानीशंकर व्यास, बजरंगलाल शर्मा, रमेश शर्मा, रामदयाल राजपुरोहित, विजय सिंह राठौड़, साकेत शर्मा, रमेश जोशी, श्यामसुंदर तिवारी, रमेश आचार्य, हरिओम पूंज, रमेश शर्मा, योगेश शर्मा, नंदू सिंह शेखावत, नंदकिशोर भाटी, प्रदीप देवड़ा, वी.के. व्यास, अनिल गौड़, मोहित अग्रवाल आदि का विशेष सहयोग रहा।