सम्पतदेवी भंसाली के ‘मासखमण’ तप का अभिनन्दन: जैन धर्म में तपस्या का महत्व

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गंगाशहर, 31 जुलाई। आज गंगाशहर में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी के पावन सान्निध्य में सम्पतदेवी भंसाली के ‘मासखमण’ (31 की तपस्या) तप का अभिनन्दन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
तपस्या का महत्व और निर्जरा का लक्ष्य
मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए फरमाया कि तपस्या का कार्य अत्यंत कठिन है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हैं और घरों में दवाइयों का सिलसिला चलता रहता है, ऐसे माहौल में ‘मासखमण’ जैसी तपस्या करना बहुत बड़ी बात है। मुनिश्री ने तपस्वी को अपनी तपस्या का एकमात्र लक्ष्य ‘निर्जरा’ (कर्मों का क्षय) रखने का निर्देश दिया, जिससे आत्मा की उज्ज्वलता बढ़े और जीवन की अनेक समस्याओं का समुचित समाधान हो सके। उन्होंने सम्पतदेवी भंसाली की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने तपस्याएँ करके अपनी शक्ति और भक्ति का परिचय दिया है। ‘मासखमण’ से पहले भी उन्होंने ‘सतरंगी’ में 9 उपवास की तपस्या कर साहस का परिचय दिया था। यह परिवार शासन श्री साध्वी जिनरेखा जी के संसार पक्षीय भाई शान्तिलाल जी का है। मुनिश्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भले ही शान्तिलाल जी स्वयं तपस्या न कर सकें, लेकिन उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को तपस्या में पूरा सहयोग दिया है।

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अभिनंदन समारोह और आगामी तपस्याएँ
इस अवसर पर पारिवारिक सदस्यों ने मधुर गीतिका का संगान किया। साध्वी प्रमुखा श्री जी के संदेश का वाचन शांतिलाल पुगलिया ने किया। सभा की तरफ से कमल चन्द भंसाली ने वर्धापन किया, एवं संदेश भेंट महिला मंडल की परामर्शिका भावना छाजेड़ , पूर्व अध्यक्षा संजू लालानी, वर्तमान अध्यक्ष प्रेम बोथरा, संतोष बोथरा और सुनाम (पंजाब ) की डॉ मंजू जैन आदि ने किया। इस दौरान मुनिश्री ने स्वयं एक गीतिका का निर्माण कर उसका संगान किया। आज अन्य तपस्वियों ने भी अपनी आगामी तपस्याओं का प्रत्याख्यान (संकल्प) किया जिनमें चंदा देवी लुणिया ने 24, पवन छाजेड़ ने 21, तारादेवी ने 18, चांदनी रांका ने 13, मयंक सिंगी ने 9, अंकिता बैद ने 8, प्रिया रांका ने 8, महावीर रांका ने 7 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। अनेक भाई बहिनो ने एकासन का प्रत्याख्यान (संकल्प) किया।

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