बीकानेर में भाजपा के दो साल पर कांग्रेस का तीखा प्रहार; डॉ. कल्ला बोले- “विकास के नाम पर शून्य है सरकार”


बीकानेर, 19 दिसम्बर। राजस्थान में भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने पर बीकानेर के कद्दावर कांग्रेस नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला और पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान सरकार की विफलताओं को गिनाया। डॉ. कल्ला ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार के पास विकास का कोई नया रोडमैप नहीं है और बीकानेर की महत्वपूर्ण परियोजनाएं ठप पड़ी हैं।


विकास परियोजनाओं में देरी और “पाप का काम”
डॉ. बी. डी. कल्ला ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बीकानेर में विकास के नाम पर एक भी नया पत्थर नहीं लगा है। उन्होंने प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया:


रेलवे क्रॉसिंग: डॉ. कल्ला के अनुसार, कांग्रेस सरकार ने रेलवे क्रॉसिंग की समस्या के लिए 35 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन वर्तमान सरकार इसे धरातल पर उतारने में नाकाम रही है।
शिक्षा क्षेत्र की अनदेखी: मुरलीधर व्यास नगर में महिला कॉलेज और आयुर्वेद कॉलेज के लिए बजट स्वीकृत होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। साथ ही, डूंगर कॉलेज और एम. एस. कॉलेज की यूनिवर्सिटी से संबद्धता का मुद्दा अब भी अधर में है।
गोचर भूमि विवाद: गोचर भूमि के मामले में उन्होंने प्रशासन पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि बीकानेर के भामाशाहों ने अपनी मेहनत से गोचर विकसित किया, लेकिन जिला कलेक्टर और बीडीए (BDA) ने इस मामले में “पाप का काम” किया है।
भ्रष्टाचार और अनुभवहीनता का आरोप
पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि वर्तमान शासन “लाठी के दम पर” चल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को अनुभवहीन बताते हुए कहा कि सरकार किसी भी जनहित के मुद्दे पर सफल नहीं हो पाई है। मेघवाल ने विशेष रूप से मूंगफली खरीद में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और कहा कि आज भी उन्हीं पुरानी योजनाओं पर काम चल रहा है जिनके लिए कांग्रेस सरकार बजट दे गई थी।
संगठन की नियुक्तियों पर साधी चुप्पी
जब पत्रकारों ने कांग्रेस संगठन में हो रही नियुक्तियों और आंतरिक खींचतान पर सवाल पूछा, तो डॉ. बी. डी. कल्ला और गोविंद मेघवाल दोनों ने ही सधे हुए अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “संगठन की नियुक्तियों और पार्टी के आंतरिक मामलों पर हम पार्टी से बाहर या सार्वजनिक मंच पर बात नहीं करना चाहते।” यह बयान पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।








