महारास और रुक्मिणी विवाह की कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु, बीकानेर में कृष्ण भक्ति की बयार

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quicjZaps 15 sept 2025

बीकानेर, 24 दिसम्बर। जस्सूसर गेट के बाहर स्थित दुर्गा माता मंदिर परिसर के मोहता गार्डन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन भक्ति की अविरल धारा बही। व्यासपीठ पर विराजमान वृंदावन के सुप्रसिद्ध कथावाचक आचार्य बिक्रम जी ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का ऐसा जीवंत वर्णन किया कि समूचा पांडाल ‘नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। कथा के दौरान श्रद्धालु भाव-विभोर होकर नृत्य करने लगे और वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक हो गया।

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आचार्य बिक्रम जी ने महारास प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि भगवान की वंशी की ध्वनि जीवात्मा को परमात्मा की ओर खींचने वाला नाद है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महारास कोई लौकिक नृत्य नहीं, बल्कि आत्मा का परमात्मा में विलय है। कथा के माध्यम से संदेश दिया गया कि भक्ति के मार्ग में ‘अहंकार’ सबसे बड़ी बाधा है; जब गोपियों के मन में अभिमान आया तो प्रभु अंतर्ध्यान हो गए, लेकिन उनके विरह और करुण पुकार पर भक्तवत्सल भगवान पुनः प्रकट हुए।

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कथा के अगले चरणों में आचार्य जी ने कंस वध के प्रसंग से अधर्म के विनाश का संदेश दिया। उन्होंने मथुरा गमन, कुब्जा उद्धार और कंस के संहार का वर्णन करते हुए बताया कि जब-जब अत्याचार बढ़ता है, तब-तब ईश्वर अवतार लेते हैं। संदीपनी आश्रम में श्रीकृष्ण की शिक्षा के प्रसंग पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि साक्षात् नारायण होकर भी श्रीकृष्ण ने गुरु की महत्ता स्थापित करने के लिए शिक्षा ग्रहण की। उद्धव-गोपी संवाद के जरिए उन्होंने ज्ञान पर प्रेम और भक्ति की विजय को प्रतिपादित किया, जहाँ उद्धव जैसा महान ज्ञानी भी गोपियों के निस्वार्थ प्रेम का शिष्य बन गया।

कथा का मुख्य आकर्षण द्वारका नगरी की स्थापना और रुक्मिणी विवाह का प्रसंग रहा। भगवान श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। आचार्य जी ने बताया कि यह विवाह प्रेम, अटूट विश्वास और समर्पण की पराकाष्ठा है। कथा के समापन पर वृंदावन की भजन मंडली द्वारा प्रस्तुत भजनों पर भक्त झूम उठे। आयोजकों ने बताया कि कल कथा का अंतिम दिन है, जिसमें समय का विशेष परिवर्तन किया गया है। कल की कथा प्रातः 9:00 बजे से आरंभ होकर सायं 5:00 बजे तक चलेगी, जिसके पश्चात महाआरती और विशाल महाप्रसाद (भंडारे) का आयोजन होगा।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

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