ऊंटनी के दूध से बनेगी आईसक्रीम, चाय और स्मूदी

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025
  • जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की अभिनव पहल, ऊंटपालकों की आय बढ़ाने तथा उष्ट्र सरंक्षण की दिशा में होंगे प्रयास, पशुपालन विभाग और सरदारशहर डेयरी ऊंटपालकों के साथ मिलकर करेंगे काम

चूरू, 22 नवंबर। कोई अचरज की बात नहीं कि आने वाले दिनों में स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन माना जाने वाला ऊंटनी का दूध और उससे बने उत्पाद आईसक्रीम, चाय-कॉफी, स्मूदी और दही आसानी से चूरू में ही उपलब्ध हो जाएं। रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले राज्य पशु ऊंट के संरक्षण के लिए जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की पहल पर जिले में विशेष कार्ययोजना बनाई जा रही है। पशुपालन विभाग और सरदारशहर डेयरी की ओर से इस पर काम किया जा रहा है।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ ओमप्रकाश ने बताया, प्राचीन समय से ही देश में ऊंट का उपयोग खेती और भार ढोने के काम में प्रमुखता से किया जाता रहा है लेकिन वर्तमान में मशीनीकरण ने ऊंट की उपयोगिता को कम किया है और ऊष्ट्रपालकों के लिए ऊंट को रख पाना एक चुनौती बन गया है। इसे देखते हुए जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा ने ऊंट पालन को प्रोत्साहन देने तथा ऊंट पालकों की आय बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर काम करने के निर्देश दिए हैं।

pop ronak
kaosa

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ निरंजन चिरानिया ने बताया कि इसी सिलसिले में जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की अध्यक्षता में 23 नवंबर, शनिवार को प्रातः 11 बजे क़ृषि विज्ञान केंद्र सरदारशहर में डॉ वी के सैनी के निर्देशन में ऊंटपालकों की कार्यशाला भी आयोजित की जा रही है, जिसमें ऊंटपालकों को ऊंटनी के दूध के रखरखाव तथा इससे बनने वाले उत्पादों को बनाने व उसके विक्रय के बारे में जानकारी दी जाएगी।

डॉ निरंजन चिरानियां ने बताया कि ऊंटनी का दूध बहुत पौष्टिक तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला माना जाता है। ऎसे में इस दूध व इससे बने उत्पादों का उपयोग जन स्वास्थ्य के लिए भी काफी कारगर साबित होगा। उन्होंने बताया कि ऊंटनी के दूध से दही जमना काफी मुश्किल होता है लेकिन नई तकनीक का उपयोग कर दही जमा लिया जाता है तो वह बहुत पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

चूरू जिले के किसानों को इस दूध से दही जमाने की विशेष तकनीक बताई जाएगी। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के पश्चात् आमजन की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली में गिरावट विशेषज्ञों द्वारा दर्ज की गई है। श्वास व अन्य रोगों की रोकथाम हेतु व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। इस संबंध में हुए विभिन्न शोध में पाया गया है कि ऊंटनी के दूध से रोगों के प्रसार की रोकथाम में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की जा सकती है। इसलिए ऊंटनी के दूध एवं उससे बनने वाले सह-उत्पादों के प्रचार प्रसार व विपणन के लिए चूरू डेयरी सरदारशहर के सहयोग से योजना प्रस्तावित है।

विभिन्न शोध संस्थान एवं बीकानेर में संचालित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र तथा राजस्थान डेयरी फेडरेशन तथा पंडित दीनदयाल मेडिकल कॉलेज चूरू से समन्वय कायम कर समय-समय पर योजना में तकनीकी सहयोग प्राप्त किया जाएगा। ऊंटपालकों को भी आवश्यक तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य सरकार की ओर से ऊंटनी के प्रसव पर दो किश्तों में ऊंटपालकों को ऊंटनी के प्रसव पर 10 हजार रुपए की राशि बतौर सहायता दी जा रही थी, जिसे बढ़ाकर 20000 रुपये कर दिया गया है। ऊंटनी का दूध फिलहाल पशुपालकों द्वारा टोडिये को पिलाने के अलावा और कोई काम नहीं लिया जाता है। इसलिए पशुपालक दूध उत्पादन की मात्र पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं जबकि मादा ऊंटनी को उचित पोषण दिया जाकर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने बताया कि प्रति ऊंटनी से एक दिवस में 2-3 लीटर दूध का संकलन किया जा सकता है, जिसे डेयरी द्वारा संचालित स्थानीय दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति अथवा दुग्ध संग्रहण केन्द्र के माध्यम से वैज्ञानिक विधि द्वारा संग्रहित कर डेयरी सरदारशहर में इक्ट्ठा किया जाएगा।

विशेषज्ञ सलाह के अनुसार दुग्ध का संग्रहण कम तापमान पर किया जाकर डेयरी में चिलिंग प्लान्ट में किया जाएगा, जहां से वह प्रोसेसिंग पश्चात् सम्बन्धित विपणन एजेन्सी अथवा चिकित्सालयों को भिजवाया जाएगा। अतिरिक्त दुग्ध का संकलन चूरू जिला डेयरी संघ सरदारशहर के माध्यम से किया जाएगा, जहां से चिकित्सालयों आदि में इसे दिया जा सकेगा। कार्ययोजना में जिला प्रशासन, चूरू जिला दुग्ध उत्पादक संघ (डेयरी) सरदारशहर, पशुपालन विभाग, डेयरी सरदारशहर द्वारा प्रायोजित एवं संचालित सहकारी समितियां एवं जिले के उष्ट्रपालक मिलकर काम करेंगे। संग्रहित दुग्ध का मुल्य निर्धारण एक कमेटी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें पशुपालन विभाग, चिकित्सा विभाग तथा डेयरी सरदारशहर के अधिकारी एवं दो ऊंटपालक को शामिल किया जाएगा।

पशुपालकों की बेहतर सहभागिता के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर जिले में ऊंटनी का पालन पोषण व रख-रखाव करने वाले एवं पशुपालन विभाग में सहायता हेतु आवेदन करने वाले ऊंटपालकों को जोड़ा जाएगा। उनसे प्राप्त सुझावों के अनुरूप काम किया जाएगा। ऊंटपालकों को उचित दर पर दुग्ध का भुगतान किया जाना प्रस्तावित है। डेयरी सरदारशहर को योजना के संचालन एवं संग्रहण के साथ वित्तीय सुदृढता प्राप्त हो सके, इसके लिए लाभ का उचित निर्धारण किया जाएगा।

 

mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *