साहित्य और संस्कृति को परे रखकर पत्रकारिता की कल्पना बेमानी- अनिल सक्सेना

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

चूरू, 30 जून। भारतीय साहित्य और पत्रकारिता के उच्च मानदंड स्थापित करने और सांस्कृतिक उन्नयन के लिए प्रदेश की प्रत्येक पंचायत स्तर तक चलाया जा रहा राजस्थान साहित्यिक आंदोलन एक अभिनव पहल है। यह बात चुरू कलेक्टर पुष्पा सत्यानी ने प्रदेशभर में चल रहे राजस्थान साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में रविवार को होटल शक्ति पैलेस में आयोजित साहित्यिक परिचर्चा में कही।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

भारतीय साहित्य,संस्कृति और मीडिया विषय पर आयोजित परिचर्चा की मुख्य अतिथि कलेक्टर पुष्पा सत्यानी ने कहा कि इस तरह की परिचर्चाएं होती रहनी चाहिए।

pop ronak
kaosa

राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के संस्थापक, राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के जनक वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार अनिल सक्सेना ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि आज पत्रकारिता पर साहित्य का उतना प्रभाव नही माना जाता है जो शुरूआत में था। लेकिन साहित्य और संस्कृति को परे रखकर पत्रकारिता की कल्पना बेमानी है। उन्होंने राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने की पैरवी करते हुए जोरदार तरीके से मांग रखने की जरूरत बताई। सक्सेना ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की बात करते हुए कहा कि हिंदी देश के सबसे अधिक राज्यों में बोले जाने वाली भाषा है। जिस तरह से दूसरे देशों की अपनी राष्ट्रभाषा है उसी तरह हिंदी भी हमारी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि साहित्यकार कुमार अजय ने कहा कि साहित्य की परिभाषा बहुत व्यापक है लेकिन मोटे तौर पर ज्ञान और अनुभव के लिखित संचित कोष को साहित्य कहा जाता है।

वरिष्ठ साहित्यकार बनवारी लाल खामोश ने कहा कि संस्कृति में भारत के त्यौहार, पहनावे, भाषाएं,धर्म,संगीत,नृत्य और कला शामिल हैं। भारतीय संस्कृति में आध्यामिकता के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी समाया हुआ है। प्रोफेसर कमल कोठारी ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता एक दूसरे के पूरक है और इसके उन्नयन के लिए सतत् प्रयास जरूरी है।

वरिष्ठ साहित्यकार इदरीस राज खत्री ने कहा कि कलमकारों को ऐसी छवि बनानी चाहिए जिससे उनकी रचनाओं की चर्चा हर जगह हो। उर्दू अकादमी के पूर्व सदस्य असद अली असद ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों से हमें निराश नही होना चाहिए। लगातार इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को प्रेरित करना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार बनवारी लाल दीक्षित ने कहा कि आजादी से पहले और वर्तमान की पत्रकारिता में बहुत परिर्वतन हुआ है। पत्रकार आशीष गौतम ने कहा कि आजादी से पहले की पत्रकारिता उसी पृष्ठभूमि की थी जिसका मुख्य उद्देश्य देश की जनता को राष्ट्र की भावना से जोड़ना और देश को आजाद कराना था। प्रमुख शायर अब्दुल मन्नान ‘मजहर‘ ने कहा कि कलमकार को अपने कलम की कीमत समझनी चाहिए।

साहित्यकार राजेन्द्र शर्मा ‘मुसाफिर, भगवती पारिक, राजेन्द्र सिंह शेखावत, शौकत अली खान, बुधमल, ओम डायनामाइट,राधेश्याम चैटिया, गीता रावत, रचना कोठारी, सुशीला प्रजापत, ओमप्रकाश तंवर, शैलेन्द्र माथुर, शिवकुमार तिवारी, हरिसिंह , आर्यनद चैहान, नियाज मौहम्मद आदी ने भी विचार व्यक्त किये।

परिचर्चा का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर पुष्पा सत्यानी, राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के जनक अनिल सक्सेना और अन्य अतिथियों ने सरस्वती मां के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। स्वागत वरिष्ठ साहित्यकार इदरीश राज खत्री ने किया। लोक संस्कृति शोध संस्थान नगरश्री ट्रस्ट के सचिव श्यामसुन्दर शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के जनक वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ के कहानी संग्रह ‘आख्यायिका‘ का विमोचन जिला कलक्टर और अतिथियों ने किया। परिचर्चा में चूरू जिले के पत्रकार,साहित्यकार, कलाकार और प्रबुद्धजन भी मौजूद रहे।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *