राजराजेश्वरी नगर में ‘भिक्षु चेतना वर्ष’ का शुभारंभ, 91 तपस्वियों का ‘नौरंगी तप अभिनंदन’ समारोह


राजराजेश्वरी नगर, 17 जुलाई । शांतिदूत महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री पुण्ययशाजी के पावन सान्निध्य में ‘भिक्षु चेतना वर्ष’ के शुभारंभ के अवसर पर राजराजेश्वरी नगर में ‘नौरंगी तप’ में भाग लेने वाले 91 तपस्वियों का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान साध्वी पुण्ययशाजी की सहयोगी साध्वी विनितयशाजी सहित 21 तपस्वियों ने नौ, आठ, ग्यारह और तेरह की तपस्या के प्रत्याख्यान किए। के.जी.एफ. में चातुर्मास रत साध्वी पावन प्रभाजी की सहयोगी साध्वी रम्यप्रभाजी ने भी इस नौरंगी तप में साध्वीश्री पुण्ययशाजी को अपनी तप की भेंट अर्पित की।




तप की महिमा: ‘अणु से भी कई गुणा शक्ति’
साध्वी श्री पुण्ययशाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में ‘तप’ शब्द की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “दो अक्षर का एक छोटा सा शब्द ‘तप’ है। जिसकी शब्द संरचना जितनी लघु है, उसका कार्य उतना ही महान है। भगवान महावीर ने तप को मोक्ष का एक मार्ग बताया है। अणु से भी कई गुणा शक्ति तप में होती है। तपस्या से जन्म-जन्म के कर्म क्षीण हो जाते हैं।” उन्होंने ‘नौरंगी तप’ में भाग लेने वाले सभी तपस्वियों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने आत्मबल, मनोबल और गुरुबल से तप में चार चांद लगाए हैं। साध्वीश्री ने तप को एक प्रकार की औषध बताते हुए कहा कि यह अनेकों रोगों का उपचार करता है और इससे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक सिद्धियां और शक्तियां जागृत होती हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी वर्धमानयशाजी के मंगलाचरण से हुआ।



तप अनुमोदना और सम्मान समारोह
भाइयों और महिला मंडल की बहनों ने तप अभिनंदन गीत प्रस्तुत किया। महासभा से प्रकाश लोढ़ा, सभा के पूर्व अध्यक्ष कमलसिंह दुगड़, तेयुप अध्यक्ष विक्रम महेर, महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती मंजु बोथरा, संघ संवाद प्रवक्ता जितेंद्र घोषल एवं तपस्वियों के परिवार वालों ने वक्तव्य और गीतिका के माध्यम से तप की अनुमोदना की। श्रावक समाज की ओर से साध्वीवृंद के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई कि उन्होंने श्रावकों में विश्वास कर और उनकी क्षमता को पहचानकर ऐसा सुनहरा वातावरण बनाया, जिससे घर-घर में तपस्या का रंग चढ़ गया। सभी तपस्वियों का सम्मान अभिनंदन पत्र, जैन पट्ट एवं साहित्य से किया गया। तपस्वियों से संपर्क करने और सूची बनाने में श्रीमती जयंती कोठारी एवं पदमा महेर ने अपना समय व श्रम नियोजित किया। तपोमय वातावरण में साध्वी बोधिप्रभा जी ने मंच का संचालन कुशलता से किया। सम्मान समारोह का संचालन मंत्री गुलाब बाँठिया ने किया, तथा आभार दिनेश मरोठी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।