राजस्थान में खांसी की दवा पीने से मासूम की मौत, कई बीमार, सरकार ने कफ सिरप पर लगाई तत्काल रोक



भरतपुर \ सीकर , 2 अक्टूबर। राजस्थान में सरकारी निःशुल्क दवा योजना के तहत वितरित किए जा रहे एक खांसी के सिरप को लेकर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। सीकर जिले में सिरप पीने से एक 5 साल के मासूम नितियांस की मौत हो गई, जबकि भरतपुर समेत अन्य क्षेत्रों में भी इसके सेवन से कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम (RMSCL) ने दवा के सभी बैचों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।




दवा से मौत और बिगड़ी तबीयत का मामला
सीकर जिले के खोरी ब्राह्मणान गांव में 5 वर्षीय नितियांस शर्मा को रविवार को चिराना स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से यह सिरप दिया गया था। सिरप पीने के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ी और सोमवार सुबह उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।



अन्य प्रभावित: भरतपुर के बयाना क्षेत्र में 3 साल का एक बच्चा गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचा, जिसकी हार्टबीट असामान्य रूप से बढ़ गई। इसके अलावा, जांच के लिए सिरप पीने वाले सीएचसी प्रभारी और दो एम्बुलेंस ड्राइवरों की भी तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
लक्षण: सिरप पीने वाले मरीजों में उल्टी, चक्कर आना, बेचैनी, गहरी नींद आना, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण सामने आए हैं।
सरकार का तत्काल एक्शन और पिछली लापरवाही
गंभीर शिकायतों के बाद RMSCL ने खांसी की दवा Dextromethorphan HBr Syrup IP 13.5mg / 5ml (440) के सभी 19 बैचों पर रोक लगाकर नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे हैं। हालांकि, इस घटना ने सरकारी दवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं:
सप्लायर की पिछली रिकॉर्ड: दवा सप्लाई करने वाली कंपनी केयसंस फार्मा लिमिटेड का एक अन्य सिरप का सैंपल 6 महीने पहले फेल हो चुका था। इसमें मेंथॉल 0.5 एमजी अमानक पाया गया था।
डिबार के बावजूद सप्लाई: इस असफलता के बाद RMSCL ने 21 फरवरी 2025 को कंपनी को एक साल के लिए डिबार कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद इसी कंपनी की दूसरी दवाओं को ‘कड़ी जांच’ के बिना सरकारी अस्पतालों में सप्लाई जारी रखी गई।
उच्च स्तरीय जांच और मांग
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने औषधि नियंत्रण अधिकारी को निर्देशित किया है कि दवा के बैच का विधिक नमूना लेकर जांच के लिए भेजा जाए ताकि सटीक कारण का पता चल सके। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि 3 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और रिपोर्ट 2-3 दिन में आने की उम्मीद है। डॉक्टरों का मानना है कि सिरप पीने से मौत का यह पहला मामला हो सकता है, जिससे सिरप में सॉल्ट (Salt) की गड़बड़ी की आशंका है। इस घटना ने एक बार फिर मुफ्त दवा योजना में गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जरूरत को बड़ी जन-स्वास्थ्य चिंता बना दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री और प्रशासन गंभीर
राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने सीकर और भरतपुर दोनों जिलों में सामने आए मामलों को गंभीरता से लेते हुए आरएमएससीएल को जांच और कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने जानकारी दी कि संबंधित औषधि नियंत्रण अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि दवा के बैच का विधिक नमूना लेकर जांच के लिए भेजा जाए ताकि सटीक कारण का पता चल सके।
सरकारी अस्पतालों में वितरित की जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। खासकर बच्चों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को लेकर माता-पिता के मन में डर बैठ गया है। सरकार की ओर से भले ही जांच का आश्वासन दिया गया हो, लेकिन एक मासूम की जान जाने और कई लोगों के बीमार पड़ने के बाद यह मुद्दा अब जन-स्वास्थ्य की बड़ी चिंता बन गया है।

