जैन संत श्री रत्नाकर मुनि का जयपुर में महाप्रयाण



जयपुर , 16 अक्टूबर । जैन जगत की दिव्य विभूति, नव दीक्षित संत श्री रत्नाकर मुनि का राजस्थान की राजधानी जयपुर में आज गुरुवार अल सुबह 06 बजे महाप्रयाण हो गया। वे जैनाचार्य प्रवर श्री विजयराज जी म सा (नानेश पट्टधर) के सुशिष्य थे।
चौविहार संथारा के साथ हुए देवलोक
दीक्षा: छत्तीसगढ़, राजनांदगांव के लब्ध प्रतिष्ठित श्रावक श्री रतन लाल जी गोलछा ने गत 05 अक्टूबर को ही संयम पथ (साधु वेश) धारण किया था। यानी, वे केवल 11 दिन पूर्व ही संयम पथ के पथिक बने थे।




संथारा: नव दीक्षित संत श्री रत्नाकर मुनि महाराज को गुरुवार अल भोर 03 बजे पूरी जाग्रत अवस्था में साधुमार्गी शांत क्रांति जैन श्रावक संघ केजैनाचार्य प्रवर श्री विजय गुरु द्वारा चौविहारी संथारा करवाया गया था। उन्हें लगभग 03 घंटे का संथारा आया।



अंतिम क्षण: संथारा ग्रहण करने के बाद, संत श्री रत्नाकर मुनि लगातार नवकार महामंत्र का पावन स्मरण करते रहे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस भी नवकार महामंत्र का स्मरण करते हुए ली।
श्री अखिल भारत वर्षीय साधुमार्गी शांत क्रांति जैन श्रावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजू भाई भुरट ने यह जानकारी दी।
अंतिम दर्शन और महाप्रयाण यात्रा
श्री रत्नाकर मुनि के महाप्रयाण की खबर लगते ही जयपुर के जैन और जैनेतर श्रद्धालुओं का संथारा साधक मुनि श्री के दिव्य दर्शन हेतु तिलक नगर स्थित नवकार भवन में तांता लग गया। दिवंगत संत श्री रत्नाकर मुनि सा की महाप्रयाण डोल यात्रा आज गुरुवार को नवकार भवन से आरंभ हुयी ।

