जप है जन्म-मरण और पापों का नाशक- साध्वी कुंथु श्री

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बीकानेर, 25 अगस्त। बीकानेर में पर्युषण पर्व का छठा दिन ‘जप दिवस’ के रूप में मनाया गया, जहाँ तेरापंथ समाज धर्म की साधना में लीन है। इस अवसर पर शासन श्री साध्वी कुंथु श्री जी ने अपने प्रवचन में जप के महत्व पर प्रकाश डाला।
जप का महत्व
साध्वी कुंथु श्री जी ने कहा कि पर्युषण पर्व पुरुषार्थ का प्रतीक है। उन्होंने जप का अर्थ समझाते हुए कहा, “ज से जन्म-मरण का भवचक्र रुकता है, और प से पापों का नाश होता है।” उन्होंने बताया कि जप से व्यक्ति के भीतर एक विशेष ऊर्जा का निर्माण होता है, जिससे वह अपनी वृत्तियों को शुद्ध कर सकता है, चरित्र को निर्मल बना सकता है, और आत्म-स्वरूप को उजागर कर सकता है। उन्होंने कहा कि जप में इतनी शक्ति है कि व्यक्ति कठिन परिस्थितियों और संकटों में भी खुद को शांत और संतुलित रख सकता है। उन्होंने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा बताए गए कई मंत्रों का उल्लेख किया, जो लोगों की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का समाधान करते हैं।

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तीर्थंकरों और जप
साध्वी श्री ने तीर्थंकर महावीर और तीर्थंकर पार्श्वनाथ के प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा मंत्र 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के बताए गए हैं।

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साध्वी सम्यकत्व प्रभा जी ने जप के तीन मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डाला- देवताओं को प्रसन्न करना, मनचाहे कार्य की प्राप्ति, संकटों का निवारण .साध्वी जयंत माला जी ने भी जप के महत्व को बताने वाला एक मधुर गीत प्रस्तुत किया।

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