जेठमल छाजेड़ ने आडंबरमुक्त और साधनायुक्त तपस्या करके उदाहरण प्रस्तुत किया – मुनि कमल कुमार



गंगाशहर , 20 सितम्बर। जेठमल छाजेड़ ने आडंबरमुक्त और साधनायुक्त तपस्या करके एक सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है, ऐसा कहना है मुनि श्री कमल कुमार का। मुनि श्री ने कहा कि सच्ची तपस्या वह है जिसमें दिखावा न हो और जो साधना पर केंद्रित हो।
तपस्या की सादगी और प्रेरणा
गंगाशहर में, मुनि श्री कमल कुमार के दर्शन करने के लिए तपस्वी जेठमल छाजेड़ अपने परिवार और मित्रों के साथ उपस्थित हुए। मुनि श्री ने बताया कि जेठमल छाजेड़ को उनके साले विनय-सारिका चोपड़ा के मासखमण तप से प्रेरणा मिली थी। शुरुआत में उन्होंने केवल तीन दिन (तेला) का तप करने का सोचा था, लेकिन बाद में उन्होंने आठ दिन (अट्ठाई) की तपस्या करके साहस का परिचय दिया। मुनि श्री ने उनके भतीजे दीपंकर छाजेड़ की 8 की तपस्या व पिता हनुमानमल जी की 15 दिन की तपस्या का उदाहरण देते हुए उन्हें आगे भी तपस्या करने के लिए प्रेरित किया। मुनि श्री ने जेठमल छाजेड़ की तपस्या में दिखाई गई सादगी और साधना की सराहना की और इसे दूसरों के लिए भी अनुकरणीय बताया।




अन्य तपस्वी और आगामी कार्यक्रम
जेठमल छाजेड़ ने शांतिनिकेतन सेवा केंद्र पहुँचकर सभी साध्वियों के दर्शन किए और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। साध्वी लब्धियशा जी ने भी उनकी तपस्या की सराहना करते हुए इसे संयम और त्याग का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। इसके अलावा, मुनि श्री ने बताया कि मुनि श्री श्रेयास कुमार जी की तपस्या का आज 23वाँ दिन है और श्रीमती तारादेवी बैद के संलेखना व संथारे का 69वाँ दिन है। उन्होंने बताया कि दोनों ही अपनी साधना में दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं।
छाजेड़ निवास में शुक्रवार रात्रि को आध्यात्मिक गीत संध्या का आयोजन हुआ जिसमे युवक परिषद् , तेरापंथी सभा के सदस्यों व मित्रों तथा परिजनों ने गीत प्रस्तुत किये। पारणा 21 सितम्बर को सुबह छाजेड़ निवास में जैन संस्कार विधि से होगा। छाजेड़ परिवार में इससे पहले इसी चातुरांस में श्रीमती सुंदरदेवी सेठिया ने 12 , दीपंकर छाजेड़ व पर्व सेठिया ने अठाई की तपस्या व रुचि जैन पुगलिया ने 6 की तपस्या की है।

