गंगाशहर में ‘ध्यान दिवस’ का आयोजन, मुनिश्री कमल कुमार ने बताया ध्यान का महत्व

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बीकानेर, 26 अगस्त। पर्युषण पर्व के सातवें दिन, गंगाशहर तेरापंथ भवन में ‘ध्यान दिवस’ मनाया गया। इस अवसर पर उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ने अपने प्रवचन में ध्यान के महत्व पर जोर दिया और कहा कि ध्यान से व्यक्ति स्वस्थ, मस्त और आत्मस्थ बनता है।
ध्यान और आधुनिक जीवनशैली
मुनि श्री ने कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ध्यान का अभाव बढ़ता जा रहा है, जिससे लोगों में अस्वस्थता और स्मरण शक्ति की कमी जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि आज के छात्र डिग्री तो हासिल कर रहे हैं, लेकिन ज्ञान प्राप्त करने के लक्ष्य से भटक रहे हैं। उन्होंने भगवान महावीर, बुद्ध, कबीर और तुलसी जैसे महान व्यक्तियों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके पास कोई डिग्री नहीं थी, फिर भी उनका शुद्ध ज्ञान आज भी हमें प्रेरित करता है।
प्रेक्षाध्यान का आविष्कार
मुनि श्री ने बताया कि लोगों की समस्याओं को देखते हुए आचार्य श्री तुलसी ने अपने शिष्य आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी को ध्यान के आविष्कार की प्रेरणा दी। इसी प्रेरणा से प्रेक्षाध्यान का विकास हुआ, जिससे जैन और गैर-जैन सभी को समस्याओं से मुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व में एक दिन को ध्यान दिवस के रूप में इसलिए मनाया जाता है ताकि लोग ध्यान के माध्यम से अपने जीवन को बेहतर बना सकें।मुनि श्री ने उपस्थित लोगों को ध्यान का अभ्यास भी करवाया।

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मुमिश्री ने आज उपस्थित पूरी जनता को ध्यान के प्रयोग करवाए। मुनिश्री प्रीतिदिन प्रवचन से पूर्व प्रेक्षाध्यान गीत के पश्चात प्रयोग भी करवाते हैं। पर्युषण पर्व पर दोपहर और रात्रिकालीन प्रवचन कार्यक्रम शान्तिनिकेतन में सेवा केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री विशदप्रज्ञाजी लब्धियशाजी के सानिध्य में उल्लास पूर्वक चल रहे हैं। सांय प्रतिक्रमण निरंतर तेरापंथ भवन में ही होता है सुबह के प्रवचन और सांय के प्रतिक्रमण की विशेष उपस्थिति होती है। इस कार्यक्रम में मुनि श्रेयांस कुमार जी और मुनि मुकेश कुमार जी ने गीतिका का संगान किया। मुनि नमि कुमार जी की 35 और श्राविका तारा देवी बैद की 44 दिनों की तपस्या निर्बाध रूप से जारी रही। कई भक्तों ने उपवास, बेला, तेला और अन्य तपस्याओं का भी संकल्प लिया।

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