अब ग्रामीण अंचल में भी अंगदान की शपथ: खासोली विद्यालय में शिव कुमार शर्मा ने किया अंगदान का संकल्प


चूरू, 31 जुलाई। पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज चूरू के प्रिंसिपल डॉ. पुकार और जिला कलेक्टर चूरू अभिषेक सुराणा की अपील पर प्रेरणा लेते हुए, महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय खासोली के वरिष्ठ अध्यापक शिव कुमार शर्मा ने अपने आठ अंगों एवं उत्तकों सहित अन्य शारीरिक अंगों को मृत्यु पश्चात दान करने की शपथ ली, जो किसी को जीवन देने के काम आ सकते हैं।अंगदान: एक महादान और पुण्य का कार्य- इससे पहले, मेडिकल कॉलेज से देवेंद्र शर्मा ने दूरभाष पर शिवकुमार शर्मा से संपर्क कर बताया कि चूरू जिला अंगदान शपथ में राजस्थान में नंबर एक पर है और अब वे भारत में भी नंबर एक पर आना चाहते हैं। विद्यालय में तुरंत सभी को प्रेरित करने के लिए पुस्तकालय कक्ष में एक सभा का आयोजन किया गया।




इस सभा में जीव विज्ञान के प्राध्यापक धर्मेंद्र सोलंकी ने अंगदान को महादान बताया। वरिष्ठ अध्यापक शिव कुमार शर्मा ने कहा कि यह मृत्यु के पश्चात जीवन का मौका देने वाला एक शुभ अवसर है और श्रावण मास में इससे बड़ा पुण्य का काम कोई हो नहीं सकता कि हमारी मृत देह से कई सारे दिव्यांग मानवों का जीवन संवर सके। उन्होंने जोर दिया कि मानव के लिए मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि परिजनों के लिए भी यह खुशी की बात है कि वे अपने प्रियजन के अंगों को उसकी मृत्यु के बाद भी किसी दूसरे मानव में भौतिक रूप से स्पर्श कर उसके जिंदा होने का एहसास कर सकते हैं। शिव कुमार शर्मा ने प्राचीन समय में महर्षि दधीचि द्वारा समाज कल्याण के लिए अपनी हड्डियों के दान का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारी धार्मिक परंपराएं भी इस अंगदान के महत्व को पुष्ट करती हैं।


प्रधानाचार्य का संदेश: ‘ज्योत से ज्योत मिलाते चलो’
अंत में, प्रधानाचार्य गीता भाटिया ने कहा कि यह एक नेक कार्य है और मानव होने के नाते हमें इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए, क्योंकि जरूरी नहीं है कि आज अंगदान करने वाले को भी कल जरूरत न पड़े। उन्होंने कहा, “ज्योत से ज्योत मिलाते चलो” और एक दिन न केवल हमारा जिला बल्कि हमारा देश, जिसकी परंपराओं में उपनिषदों में ‘तेन त्यक्तेन भुंज्यते’ का उद्घोष हुआ है (अर्थात अपना सर्वस्व लुटा कर भी सुख पाया जा सकता है), इस अभियान में अग्रणी भूमिका निभाएगा। उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना के अनुसार समस्त संसार की इस समस्या का समाधान करने की बात कही। इस अवसर पर विद्यालय के अनेक प्राध्यापकगण, वरिष्ठ अध्यापकगण, अध्यापकगण, शारीरिक शिक्षक, वरिष्ठ कंप्यूटर अनुदेशक, कनिष्ठ अनुदेशक, लैब सहायक, कनिष्ठ सहायक आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कन्हैया लाल सैनी ने किया।