विश्व मित्रता दिवस का महत्व विषय पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन

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बीकानेर, 2 अगस्त। वर्तमान वैश्विक अशांति और समाज व परिवार में घटते सामंजस्य की भावना को देखते हुए, मैत्री भाव बढ़ाकर चहुंओर प्रेम फैलाने के उद्देश्य से रविवार को “विश्व मित्रता दिवस का महत्व” विषय पर एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। मल्टी स्किल डेवलपमेंट एसोसिएशन के सौजन्य से आयोजित इस गोष्ठी का संयोजन एसोसिएशन के सीईओ और पूर्व प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने किया।
मित्रता के विविध आयामों पर कवियों की रचनाएँ
डॉ. नरसिंह बिनानी ने बताया कि इस काव्य गोष्ठी में बीकानेर के वरिष्ठ और नवोदित कवियों ने वर्तमान परिपेक्ष्य में मित्रता के महत्व को अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से परिवार से लेकर वैश्विक स्तर तक रेखांकित किया।
धार्मिक-सांस्कृतिक पक्ष: बीकानेर के वरिष्ठतम साहित्यकार, कवि व चिकित्सक डॉ. शंकरलाल स्वामी ने भगवान राम-सुग्रीव और कृष्ण-अर्जुन की मित्रता के धार्मिक-सांस्कृतिक पक्ष को इन पंक्तियों में प्रस्तुत कर सभी को भक्तिमय वातावरण में डुबो दिया:
“राम और सुग्रीव मिताई, रघुनंदन सीता सुधि पाई।
विश्व ईश कहि करै आरती, अर्जुन हित वे बने सारथी।”

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कृष्ण-सुदामा की दोस्ती: वरिष्ठ कवि, साहित्यकार, गीतकार जुगल किशोर पुरोहित ने कृष्ण-सुदामा की दोस्ती का उदाहरण देते हुए अपनी रचना “दोस्ती हो कृष्ण सुदामा जैसी, दोस्ती में स्वार्थ कैसा, दोस्ती हो भाई जैसी” प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरीं। इसी पर केंद्रित एक और रचना वरिष्ठ कवि मोहन लाल जांगिड़ ने प्रस्तुत की:
“कृष्ण सुदामा सी दोस्ती, अजर अमर संसार,
सुख दुःख में साथ सदा, नोक झोंक संग प्यार।”

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जीवन में दोस्ती का महत्व: वरिष्ठ कवि, साहित्यकार शिव शंकर शर्मा ने अपनी शानदार रचना ‘सखा संगम’ शीर्षक से दोस्ती के महत्व को बताया:
“कल मिले परसों मिले, अभी-अभी तो मिले थे हम,
होती नहीं तसल्ली, जब तक यार से न मिल लेते हम।”

सांप्रदायिक एकता: काव्य गोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने मित्रता दिवस को सांप्रदायिक एकता की भावना के रूप में देखते हुए अपनी रचना में कहा:
“मित्रता कभी भी उम्र, धर्म, जाति ना देखती,
यह इक दूजे की भावनाएं समझती।”

कलम से दोस्ती: युवा कवयित्री सरिता तिवाडी पारीक ने मित्रता दिवस को साहित्यिक रंग देते हुए अपनी दोस्ती को कलम से जोड़ा:
“ऐ कलम तू ही मेरी सच्ची सखा मीत प्यारी,
जब जब चला अन्तर्मन में द्वंद , तू चली हर कदम मेरे संग।”

मन से मन की बात: पीबीएम हॉस्पिटल के पूर्व नर्सिंग अधीक्षक व वरिष्ठ कवि डॉ. जगदीश दान बारहठ ने ‘दोस्त’ शीर्षक से मन को छू लेने वाली रचना प्रस्तुत कर काव्य गोष्ठी में समा बांध दिया:
“कुछ तुम बोलो कुछ हम बोलें,
मन पर मन की बात कहें।”

हास्य रचना: वरिष्ठ कवि मोहन लाल जांगिड़ ने ‘दो सखियां’ शीर्षक से एक हास्य रचना प्रस्तुत कर सभी को हंसी से सराबोर कर दिया:
“दो सखियां मिली बाद चालीस साल,
बीच बाजार हुई गदगद, पूछे हालचाल।”

मानवीय गुणों की व्याख्या: युवा कवयित्री एवं शिक्षक डॉ. कृष्णा गहलोत ने ‘मित्रता’ शीर्षक से अपनी रचना में मानवीय गुणों की व्याख्या करते हुए संपूर्ण सृष्टि को मित्रता के महत्व का संदेश दिया:
“दया, करुणा, ममता समाए उसका नाम है मित्रता,
समस्त धर्मों का सार है मित्रता, सृष्टि का आधार है मित्रता।”

इनके अलावा, अन्य रचनाकारों ने भी विश्व मित्रता दिवस के महत्व पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर इस दिवस की प्रासंगिकता सिद्ध की। काव्य गोष्ठी के प्रारंभ में वरिष्ठ कवि, साहित्यकार, गीतकार जुगल किशोर पुरोहित ने सभी का स्वागत किया, और अंत में वरिष्ठ कवि मोहन लाल जांगिड़ ने आभार व्यक्त किया।

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