बीकानेर में खुले नाले बने मौत का कुआँ-गोवंश की जान बचाई, स्थानीय लोगों में भारी रोष

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बीकानेर, 02 जुलाई। बीकानेर के नत्थूसर गेट से चूना भट्ठा वाला मुख्य मार्ग जो बेणीसर बारी की तरफ पश्चिम विधायक सेवा केंद्र की ओर जाता है, पर खुले पड़े नाले ने स्थानीय निवासियों और पशुओं के लिए बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। पिछले दो महीने से नाले का पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके चलते इसे खुला छोड़ दिया गया है। इस लापरवाही का खामियाजा पालतू और आवारा पशु भुगत रहे हैं, जो तकरीबन रोजाना इसमें गिरकर असमय काल के ग्रास बन रहे हैं।

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मंगलवार शाम को भी एक गोवंश खुले नाले में गिर गया। स्थानीय गोसेवा युवा टीम के सदस्यों अमित सेवग, सुमित सोलंकी, सुरेंद्र चूरा, राम सांखी, आनंद शर्मा, नीलेश आचार्य, मुकेश मारवाड़ी, अभिषेक व्यास, कमलेश भादाणी, विक्रम व्यास और अन्य ने तुरंत कार्रवाई करते हुए गोवंश को सुरक्षित नाले से बाहर निकाला और उसकी जान बचाकर सराहनीय कार्य किया।

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प्रशासन और नेताओं के प्रति भारी रोष
इस घटना को लेकर स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और नेताओं के प्रति गहरा रोष प्रकट किया। उन्होंने कहा कि जब विधायक महोदय के आवास के समीप ही यह हाल है, तो बाकी वार्डों का क्या हाल होगा, यह कहने की आवश्यकता नहीं है।

गौरतलब है कि पूरे बीकानेर शहर में सीवरेज का कार्य चल रहा है, जिससे शहर में हर तरफ सड़कें खुदी हुई हैं और विशालकाय नाले खुले पड़े हैं। इससे आम इंसान का चलना भी दूभर हो गया है। जनता को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन तभी जागता है, जब जनता धरने के माध्यम से उन्हें जगाती है।

मानसून में बढ़ी दुर्घटनाओं की आशंका
चूंकि मानसून ने दस्तक दे दी है, खुले नालों और टूटी सड़कों पर कभी भी कोई भी दुर्घटना घटित होना स्वाभाविक है। जनता इस स्थिति का खामियाजा भुगत रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या आम जनता को कुंभकरणीय नींद में सो रहे प्रशासन को जगाने के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा?

 

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