5 साल की बच्ची से रेप और हत्या के दो दोषियों को पॉक्सो जज ने सुनाई फांसी



आगरा, 16 अक्टूबर, 2025 । आगरा की एक विशेष POCSO अदालत की जज सोनिका चौधरी ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए, पाँच साल की नाबालिग बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के दो आरोपियों को मौत की सज़ा (फांसी) सुनाई है। अदालत ने मात्र 16 महीने के भीतर ही सुनवाई पूरी कर जल्द न्याय सुनिश्चित किया है।
अपराध की वीभत्सता और आरोपी
यह जघन्य घटना 17 जुलाई, 2022 को हुई थी। आरोपियों ने आगरा के सादाबाद थाना क्षेत्र से पाँच वर्षीय बच्ची का अपहरण किया, उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी। बच्ची का शव एक खेत में फेंक दिया गया था।
ऐतिहासिक फैसला: आगरा की एक विशेष POCSO अदालत की जज सोनिका चौधरी ने पांच साल की एक नाबालिग बच्ची के बलात्कार और हत्या के मामले में दोनों आरोपियों को मौत की सजा (फांसी) सुनाई है।




अपराध की वीभत्सता: यह घटना 17 जुलाई, 2022 की है। आरोपियों ने आगरा के सादाबाद थाना क्षेत्र से पांच साल की बच्ची का अपहरण कर लिया। उसके बाद उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी। लाश एक खेत में फेंक दी गई थी।



आरोपी: फांसी की सजा पाने वाले आरोपियों की पहचान गुड्डू (26 वर्ष) और कैलाश (22 वर्ष) के रूप में हुई है। दोनों ही पीड़िता के पड़ोस में रहते थे और परिवार को जानते थे।
यूपी–
आगरा कोर्ट ने 5 वर्षीय बच्ची की रेप के बाद हत्या करने वाले अमित और निखिल को फांसी की सजा सुनाई !!@madanjournalist pic.twitter.com/k0Ch4AzUdN— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) October 16, 2025
जल्द न्याय: अदालत ने मामले की सुनवाई तेजी से पूरी की और मात्र 16 महीने के भीतर ही फैसला सुना दिया, जो दुर्लभ है। इससे न्यायपालिका की गति और संवेदनशीलता का पता चलता है।
सजा का आधार: जज सोनिका चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला “दुर्लभ से दुर्लभतम” (rarest of the rare) श्रेणी में आता है। अपराध की वीभत्सता, पीड़िता की मासूम उम्र और इस तरह के जघन्य अपराधों के खिलाफ समाज को एक सख्त संदेश देने की जरूरत को देखते हुए मौत की सजा सुनाई गई है।
मामले की पृष्ठभूमि और अदालती प्रक्रिया:
आरोप पत्र: पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), 376 (बलात्कार) और POCSO अधिनियम की relevant धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था।
सबूत: मामला वैज्ञानिक सबूतों पर टिका था, जिसमें डीएनए सैम्पल और फॉरेंसिक रिपोर्ट शामिल थीं, जिन्होंने आरोपियों को अपराध से सीधे जोड़ा।
सजा: अदालत ने दोनों आरोपियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई। साथ ही, उन पर जुर्माना भी लगाया गया है, जिसकी राशि पीड़िता के परिवार को दी जाएगी।
प्रतिक्रियाएं और महत्व:
न्यायपालिका का सख्त रुख: यह फैसला बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में भारतीय न्यायपालिका के सख्त और शून्य सहिष्णुता के रुख को दर्शाता है।
समाज के लिए संदेश: इस तरह के फैसले समाज में यह संदेश देते हैं कि नाबालिगों, खासकर छोटे बच्चों के खिलाफ हिंसा और यौन अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी।
पीड़ित परिवार को न्याय: हालांकि पीड़ित बच्ची को वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन यह फैसला उसके परिवार को न्याय की एक झलक देता है और यह दिखाता है कि कानून हमेशा पीड़ित के साथ खड़ा होता है।
थार एक्सप्रेस का निष्कर्ष
आगरा की पॉक्सो अदालत का यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधों के मामले में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह फैसला न केवल न्यायिक दृढ़ता का प्रतीक है, बल्कि समाज में ऐसे अपराधियों के लिए एक चेतावनी भी है।

