नमस्कार महामंत्र : एक अनुशीलन के द्वितीय संस्करण का प्रकाशन


राजराजेश्वरी नगर । जैन धर्म के सार्वभौम और अनादि मंत्र ‘नमस्कार महामंत्र’ पर आधारित पुस्तक “नमस्कार महामंत्र – एक अनुशीलन” के दो भागों का द्वितीय संस्करण प्रकाशित हो गया है। राजराजेश्वरी नगर में आयोजित एक समारोह में साध्वीवृंद को इसकी प्रतियाँ भेंट की गईं।



महामंत्र की प्रभावकता पर विचार
साध्वीश्री पुण्ययशा जी: उन्होंने इस अवसर पर कहा कि नमस्कार महामंत्र जैन धर्म का सार्वभौम मंत्र है और इसमें चौदह पूर्वों का सार निहित है। साध्वीश्री जी ने अनेक घटना प्रसंगों से इसकी प्रभावकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शक्तिशाली मंत्र कर्म निर्जरा के साथ-साथ आधि, व्याधि तथा उपाधि दूर करता है और चित्त समाधि का सर्जन करता है।



साध्वी श्री विनितयशा जी: उन्होंने इसे जैनों का एक विशिष्ट मंत्र बताया। उन्होंने कहा कि यह अलौकिक शक्तियों को जगाने का मंत्र है, जिसे श्रद्धा और एकाग्रता पूर्वक अपनाना चाहिए।
साध्वी वर्धमानयशा जी: उन्होंने एक गीतिका के माध्यम से नमस्कार महामंत्र की महिमा का गुणगान किया।
द्वितीय संस्करण का विमोचन
राजराजेश्वरी नगर के अध्यक्ष राकेश छाजेड़ ने साध्वी श्री पुण्ययशा जी द्वारा लिखित “नमस्कार महामंत्र – एक अनुशीलन” के द्वितीय संस्करण की प्रतियाँ साध्वीश्रीजी को भेंट कीं। इस दौरान उन्होंने विजय कोठारी व श्रीमति संजना कोठारी को सम्मानित भी किया। जितेन्द्र घोषल ने पुस्तक की उपयोगिता को देखते हुए प्रत्येक घर में इसे रखने और अध्ययन करने की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर राजराजेश्वरी नगर के उपाध्यक्ष सरोज आर बैद एवं राजेश छाजेड़, इमरतलाल देवड़ा, पदम खटेड़, तथा बिड़दी उपसभाध्यक्ष कुशल देवड़ा आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम के बाद साध्वीवृंद का बिड़दी से मंडिया की ओर विहार प्रारंभ हो गया है।
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