झालावाड़ हादसे के बाद राजस्थान सरकार हरकत में: 1936 स्कूलों की मरम्मत के लिए ₹169 करोड़ स्वीकृत


बीकानेर, 30 जुलाई। झालावाड़ में पिपलोदी गांव के सरकारी स्कूल भवन ढहने की दुखांतिका के महज चार दिन बाद ही राजस्थान सरकार ने प्रदेशभर के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए 169 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत कर दी है। इस हादसे में कई मासूमों की जान चली गई थी, जिसने राज्य की शिक्षा व्यवस्था की जर्जर हालत को उजागर किया था। 1936 स्कूलों को किया गया चिह्नित
समग्र शिक्षा अभियान के तहत, राज्य के 1936 स्कूलों को चिह्नित किया गया है, जहाँ मरम्मत कार्य जल्द शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। समग्र शिक्षा निदेशालय की निदेशक अनुपमा जोरवाल के अनुसार, यह राशि सर्वे के आधार पर जारी की गई है। स्वीकृत राशि का उपयोग केवल स्कूलों की मरम्मत और जीर्णोद्धार पर ही किया जाएगा, और किसी अन्य मद में इसका उपयोग नहीं किया जा सकेगा। ठेकेदारों को भुगतान भी तभी किया जाएगा जब मरम्मत कार्य का पूर्णता प्रमाण-पत्र जमा कर दिया जाएगा।




इन जिलों के स्कूलों की होगी मरम्मत
राज्य के विभिन्न जिलों में जिन स्कूलों की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत की गई है, उनकी संख्या इस प्रकार है. जयपुर: 174, अजमेर: 47, अलवर: 48, बालोतरा: 43,
बांसवाड़ा: 57, बारां: 36, बाड़मेर: 60, ब्यावर: 29, भरतपुर: 35 , भीलवाड़ा: 118,
बीकानेर: 56, बूंदी: 35 , चित्तौड़गढ़: 42 , चूरू: 27, दौसा: 42, डीग: 30, डिडवाना-कुचामन: 60 , डूंगरपुर: 46, गंगानगर: 37, हनुमानगढ़: 31, जैसलमेर: 31, जालोर: 50, झालावाड़: 51, झुंझुनूं: 44, जोधपुर: 72, करौली: 41, खेरथल-तिजारा: 11, कोटा: 76, कोटपुतली: 28, नागौर: 49, पाली: 62, फलौदी: 19, प्रतापगढ़ और राजसमंद: 33-33 , सलूंबर: 16 , सवाई माधोपुर: 39, सीकर: 42, सिरोही: 27,
टोंक: 32, उदयपुर: 68


प्रदेशभर में जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति
यह उल्लेखनीय है कि झालावाड़ जिले के मनोहर थाना इलाके में मौजूद पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की इमारत ढहने से शुक्रवार को बड़ा हादसा हो गया था। इस हादसे ने प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति को सामने ला दिया, जहाँ जर्जर भवनों में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। भरतपुर जिले के महात्मा गांधी इंग्लिश स्कूल की एक तस्वीर भी इस गंभीर समस्या को दर्शाती है, जहाँ स्कूल भवन अत्यंत खराब हालत में है और परिसर में कचरा भी फैला हुआ है। सरकार का यह कदम शिक्षा के मूलभूत ढांचे को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।