गांधी जयंती पर राजस्थानी संगोष्ठी, ‘विश्व-परिदरसाव मांय गाँधीजी रै विचारां री प्रासंगिकता’



बीकानेर, 2 अक्टूबर 2025। सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े के तहत, गांधी जयंती के अवसर पर गुरुवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी और इंटेक, बीकानेर चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में एक राजस्थानी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। रोटरी क्लब सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी का विषय ‘विश्व-परिदरसाव मांय गाँधीजी रै विचारां री प्रासंगिकता’ (विश्व परिदृश्य में गाँधीजी के विचारों की प्रासंगिकता) था।
वक्ताओं ने बताई विचारों की महत्ता
संगोष्ठी में वक्ताओं ने महात्मा गांधी के विचारों को आज के वैश्विक संदर्भ में अत्यंत आवश्यक बताया। मुख्य अतिथि रोटे. मनमोहन कल्याणी ने कहा कि गाँधीजी के विचारों और दर्शन की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक आज है। उन्होंने विश्व में शांति और भाईचारे की स्थापना के लिए गाँधीजी के बताए मार्ग पर चलने को अनिवार्य बताया। अध्यक्षता कर रहीं साहित्यकार सुधा आचार्य ने वैश्विक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा विश्व इस समय बारूद के ढेर पर बैठा है। उन्होंने जोर दिया कि धरती, मानव और प्रकृति को बचाने के लिए पूरे विश्व को गाँधीजी के विचारों को अपनाना व आत्मसात करना होगा।




अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि आज विश्व में व्याप्त हिंसा और भय के वातावरण को समाप्त करने के लिए महात्मा गाँधी के सत्य, अहिंसा, देशभक्ति और सर्वधर्म सद्भाव संबंधी विचार बेहद ज़रूरी हैं। कार्यक्रम का संचालन कर रहे इंटेक के पृथ्वीराज रतनू ने बताया कि गाँधीजी मानव-सेवा को जीवन का महत्वपूर्ण कार्य मानते थे। वे स्वदेशी, स्वराज्य, सर्वोदय और खादी के माध्यम से आमजन को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे।



विचार साझा करने वाले अन्य गणमान्य
इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में एम. एल. जांगिड़, डॉ. मोहम्मद फारूक, गोविंद जोशी, डॉ. रितेश व्यास, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, अमर सिंह खंगारोत, भुवनेश स्वामी, बाबूलाल छंगाणी, जुगल किशोर पुरोहित, योगेंद्र पुरोहित और सुभाष बिश्नोई सहित कई लोगों ने अपने विचार रखे। अंत में रोहित कुमार स्वामी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

