सौमित्र, पौलमी और अब कोलकाता की डॉक्टर, आरजी मेडिकल कॉलेज के ‘पॉर्न राज’ के खिलाफ जानेवाले को ‘सजा-ए-मौत’!

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quicjZaps 15 sept 2025

कोलकाता , 19 अगस्त। आरजी मेडिकल कॉलेज की चर्चा देश ही नहीं पूरी दुनिया में है। यहां 31 वर्षीय डॉक्टर की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो जाती है। घटना के बाद मेडिकल कॉलेज ने इसे आत्महत्या बताया। लेकिन बाद में मामला तूल पकड़ा और गैंगरेप के बाद हत्या की बात सामने आई। इस मामले में पूरी दुनिया के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और डॉक्टर के लिए न्याय की बात कर रहे हैं। आरजी मेडिकल कॉलेज के अंदर किसी बड़े राज की बात सामने आ रही है। यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह की वारदात मेडिकल कॉलेज के अंदर हुई है। इससे पहले भी ऐसा हुआ लेकिन हमेशा मामला दबा दिया गया।

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ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के बाद लोगों को 24 साल पहले हुई उस घटना की याद आ रही है, जो इसी से मिलती-जुलती थी। बात 25 अगस्त, 2001 की है। एक चौथे वर्ष के मेडिकल छात्र सौमित्र विश्वास को कॉलेज हॉस्टल में फांसी के फंदे से लटकता हुआ पाया गया था।

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आज तक अनसुलझा सौमित्र केस
सौमित्र विश्वास की मौत को अधिकारियों ने तुरंत आत्महत्या बताया। हालांकि पीड़ित परिवार को मामला सस्पेक्टेड लग रहा था। वह कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने सीआईडी जांच का आदेश दिया। एक साथी छात्रा, औरोमिता दास की गिरफ्तारी के बावजूद, मामला आज तक अनसुलझा है और सौमित्र की मृत्यु अभी भी रहस्य बनी हुई है।
सौमित्र को लगी थी क्या भनक
सौमित्र की मा को लंबे समय से गड़बड़ी का संदेह था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके बेटे की हत्या परिसर में अवैध गतिविधियों का पता चलने के बाद की गई थी। जांच के दौरान कॉलेज के छात्रावास के भीतर एक पोर्नोग्राफी गिरोह के संचालन के आरोप सामने आए, जिसमें सेक्स वर्कर्स और यहां तक कि शवों का शोषण भी शामिल था। इन आरोपों का समर्थन उन छात्रों ने किया जिन्होंने दावा किया कि इन काले लेन-देन को उजागर करने के बाद सौमित्र को निशाना बनाया गया था।

पौलामी की 6ठीं मंजिल से गिरकर हुई थी मौत
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक अन्य दुखद मामले में 25 वर्षीय द्वितीय वर्ष के स्नातकोत्तर ट्रेनी पौलमी साहा का नाम भी शामिल है। पौलामी की भी अस्पताल की छठी मंजिल से गिरकर मौत हो गई थी। इसे भी आत्महत्या बताया गया था। हालांकि कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था और उसकी मौत के आसपास की परिस्थितियां आज तक स्पष्ट नहीं हैं। सौमित्र के मामले की तरह, पौलामी की मृत्यु ने कई अनुत्तरित प्रश्नों को छोड़ दिया।

सौमित्र केस को लेकर डॉक्टर्स ने क्या कहा
सौमित्र जिस हॉस्टल में रहता था, वहां रहने वाले एक छात्र आज डॉक्टर बन गए हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हम सभी की तरह सौमित्र भी इसके बारे में जानते थे, लेकिन न तो उनमें और न ही हममें से किसी में इसे चुनौती देने की हिम्मत थी। जब सौमित्र के एक करीबी दोस्त और एक बैचमेट को इस गिरोह ने पीड़ित किया, जिसने उसका चेहरा किसी दूसरी महिला के नग्न शरीर पर लगाया, तो वह खुद को रोक नहीं सका।’

हॉस्टल में पॉर्न शूटिंग से जुड़े तार
डॉक्टर ने बताया कि पॉर्न शूटिंग मुख्य रूप से वीकेंड्स में की जाती थी, जिसमें छात्रावास में सेक्स वर्कर्स को बुलाया जाता था। संकट के समय, जब वे किसी वेश्या की व्यवस्था नहीं कर पाते थे, तो वे अस्पताल में शवों का भी इस्तेमाल करते थे, जिनका उपयोग मेडिकल की पढ़ाई के लिए किया जाता है। यह एक बहुत बड़ा रैकेट है, जिसे एक राजनीतिक नेता का संरक्षण प्राप्त है। फिर वे शवों के नग्न शॉट्स पर मॉडल का चेहरा लगाते थे।’

पुलिस ने नहीं ली तलाशी तक
आरोप तब और पुख्ता हो गया जब टीएनएन को छात्रावास के प्रथम तल पर कमरा नंबर 15 में ट्राइपॉड और रिफ्लेक्टर मिले। छात्रों ने पुष्टि की कि कमरे का इस्तेमाल नियमित रूप से किया जाता था, लेकिन पुलिस ने इस हफ्ते मंगलवार तक कमरे की तलाशी लेने की भी जहमत नहीं उठाई। इससे भी अधिक अजीब बात यह है कि बगल के कमरे से सौमित्र बिस्वास का शव बरामद होने के बाद भी ट्राइपॉड आदि नहीं हटाए गए, जिससे संकेत मिलता है कि बिस्वास की मौत के बाद भी छात्रों के एक समूह ने अपना काम जारी रखा।

ऐसे उठा था मामला
सौमित्र मामले को याद करते हुए डॉक्टर ने बताया कि औरोमिता दास ने घटना से कुछ दिन पहले कुछ लड़कों की शरारत के बारे में सौमित्र को बताया था। उसने बताया था कि उन्होंने जन्मदिन की पार्टी में ली गई तस्वीरों से उसका चेहरा नग्न शवों पर लगाया था और आपत्तिजनक तस्वीरें शेयर की थीं।

उसने यह भी दावा किया कि उसने लड़कों का सामना किया था और उन्हें डांटा था। सौमित्र के ‘विश्वासघात’, विरोध और संभवतः रैकेट का पर्दाफाश करने की धमकी के कारण, छात्रों के एक बड़े वर्ग को संदेह है कि उनकी हत्या की गई। उनकी मां याद करती हैं कि उस दुर्भाग्यपूर्ण सुबह वह बैरकपुर स्थित अपने घर से यह वादा करके निकले थे कि वह दोपहर के भोजन के लिए वापस आएंगे। लेकिन वह कभी नहीं लौटे।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

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