राजराजेश्वरी नगर में तेरापंथ दर्शन कार्यशाला का सफल आयोजन


राजराजेश्वरी नगर, 3 नवम्बर। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के पावन निर्देशानुसार तथा भिक्षु चेतना वर्ष के उपलक्ष्य में, तेरापंथी सभा, राजराजेश्वरी नगर द्वारा साध्वी श्री पुण्ययशाजी के सान्निध्य में एक दिवसीय तेरापंथ दर्शन कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र और भिक्षु जप से हुआ। साध्वी श्री पुण्ययशाजी ने आचार्य भिक्षु के विचारों की प्रासंगिकता पर बल दिया और कहा कि स्वामीजी द्वारा स्थापित मर्यादा और अनुशासन ही तेरापंथ को एक मिसाल बनाते हैं। चेन्नई से आए प्रशिक्षक प्रवक्ता उपासक पदमचंद आंचलिया ने धर्म की कसौटी और धर्म करने के अधिकारी विषयों का विस्तृत विश्लेषण करते हुए मनुष्य जीवन को मोक्ष की योग्यता वाला श्रेष्ठ जीवन बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आचार्य भिक्षु ने दान का निषेध नहीं किया, बल्कि लौकिक और लोकोत्तर दान के अंतर को स्पष्ट किया तथा बताया कि धर्म का मूल हृदय परिवर्तन में निहित है।



कार्यक्रम में तेरापंथी सभा सदस्यों ने मंगलाचरण किया, उपासिका श्रीमती मधु कटारिया ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन कराया, और सभाध्यक्ष राकेश छाजेड़ ने स्वागत भाषण दिया। साध्वी वर्धमानयशा जी ने तेरापंथ के उद्भव पर, साध्वी बोधिप्रभाजी ने मूर्तिपूजा संबंधी शंकाओं के निवारण पर, तथा अन्य उपासिकाओं ने दान, दया, मर्यादा और व्यवस्था विषयों पर ज्ञानवर्धक प्रस्तुतियाँ दीं। कार्यशाला में किशोर वय और युवा वर्ग सहित बड़ी संख्या में श्रावकों की उपस्थिति रही, जिसका मंच संचालन उपासिका सरोज आर बैद ने किया, और मंत्री गुलाब बाँठिया के आभार और मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।











