शिव व शक्ति में अनुपम सामरस्य है- राजेन्द्र जोशी

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बीकानेर, 30 जुलाई। परम पूज्य ब्रह्मलीन श्री स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज की पावन स्मृति में श्री लालेश्वर महादेव मंदिर में श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर अधिष्ठाता पूज्य स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज के सान्निध्य में व्यास पीठाधीश्वर श्री राजेंद्र जोशी ने प्रवचन दिए। शिव की कृपा और सामरस्य का महत्व –राजेंद्र जोशी ने कहा कि भगवान शिव आशुतोष हैं, अर्थात वे सहज ही साधना द्वारा प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि जो भी साधक प्रतिदिन भाव से शिव महापुराण का श्रवण करता है, उसके जीवन में सुख-संपत्ति और स्वास्थ्य की कृपा बनी रहती है। जोशी ने जोर देकर कहा कि शिव ही त्रिलोकीनाथ हैं और वे संपूर्ण सृष्टि पर अपनी कृपा का अमृत बरसाते रहते हैं। उन्होंने यह भी प्रतिपादित किया कि शिव और शक्ति में अनुपम सामरस्य है।

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पूज्य स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज का आशीर्वचन
पूज्य स्वामी श्री विमर्शानंदगिरि जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में आचार्य शंकर द्वारा रचित ‘देव्यक्षमापराध स्तोत्र’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भक्त इसमें कह रहा है कि भले ही वह विधि-विधान से पूजा-अर्चना न कर पाया हो, और कभी उसका मन नीरस भी हुआ हो, फिर भी यदि माँ श्यामा ने उसकी अर्चना स्वीकार कर ली है, तो यह उनकी अपार कृपा है।

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नृत्य प्रस्तुति और कथा का समापन
मानव प्रबोधन प्रन्यास के विजेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि आज वीणा अकादमी की छात्राओं द्वारा वाणी जी के मार्गदर्शन में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित ‘वह हिन्दू कहलाता है’ रचना पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्तुति ने वातावरण को शिवमय के साथ-साथ देशभक्ति के भाव से भी भर दिया। यह भी बताया गया कि कल, दिनांक 31 जुलाई को कथा के सप्तम दिवस पर शिव महापुराण कथा का समापन होगा।

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