जीवन में कितनी भी प्रतिकूल स्थिति बन जाए, उसमें भी भगवत्कृपा का अनुसंधान करें : श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025
  • श्रीभक्तमाल कथा चतुर्थ दिवस : चार दिन से निरन्तर चार घंटे हजारों श्रद्धालुओं को मिल रहा भगवत्प्राप्ति का मार्ग
  • मैं केवल भगवान का हूँ और केवल भगवान ही मेरे तभी अहम् से मुक्ति : श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज

बीकानेर , 18 मार्च । भीनासर स्थित मुरलीमनोहर मैदान इन दिनों भगवत्प्राप्ति का माध्यम बन गया है। आज चार दिनों से दोपहर तीन से शाम सात बजे तक निरन्तर चार घंटे हजारों लोगों को भगवद्प्राप्ति का मार्ग पूज्य श्रीराजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज दर्शा रहे हैं।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

सप्तदिवसीय श्रीभक्तमाल कथा के चौथे दिवस सोमवार को श्रीरामानंदीय वैष्णव परम्परान्तर्गत श्रीमदजगद्गुरु मलूक पीठाधीश्वर पूज्य श्रीराजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन की सफलता का कोई दूसरा हेतु नहीं, किसी भी बड़ी प्रतिष्ठा पद एश्वर्य को प्राप्त करने के बाद भी मनुष्य जीवन विफल ही है। मानव जीवन की सफलता केवल भगवद्चरण की प्राप्ति में है दूसरी किसी में नहीं।

pop ronak
kaosa

भगवद्प्राप्ति में किसी भी मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है और यदि कोई मध्यस्थ है तो वह केवल मात्र गुरु ही है जो भगवान का मार्ग दर्शाता है। भगवान स्वभाव से ही निर्मल है। भगवान से सम्बन्ध नहीं जोड़ा और हमने विकार युक्त संसार से सम्बन्ध जोड़ लिया तो जन्मों के बंधन से मुक्त हो ही नहीं पाओगे।

सारे विकारों का बीज है अहम् और मम् है। चित्त का परमात्मा में अनुरक्त हो जाना मोक्ष है और चित्त का गुणों में आसक्त हो जाना बंधन है। जीव माया के प्रति अधीन होता है और माया भगवान की अधीन है। चित्त में अहम् और मम से माया पैदा होती है। शरीर को मैं मान लेना और संसार को मेरा मान लेना ही चित्त का अशुद्ध होना है। ज्ञान, भक्ति और कर्म द्वारा अहम् और मम् का विशोधन होता है।

श्रीराजेन्द्रदासजी महाराज ने कहा कि सबसे कठिन है अहंकार से ऊपर उठना। सरल हृदय से ये स्वीकार कर लो की मैं केवल भगवान का हूँ और केवल भगवान ही मेरे तभी अहम् से मुक्ति मिल सकती है। मनुष्य जन्म-जन्मों तक कर्मों के बंधन में बंधा रहता है और मुक्ति का केवल एक ही उपाय है भगवत् शरणागति। असंख्य जन्मों का नाश केवल भगवान की शरण में जाने से हो जाता है और इतना ही नहीं असंख्य पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।

जीवन में कितनी भी प्रतिकूल परिस्थिति बन जाए लेकिन उसमें भी भगवान की कृपा का अनुसंधान करें। समस्त जीवों का आश्रय भगवान और रक्षक भी भगवान ही है। आज के यजमान भंवरलाल साध व इंद्रमोहन रामावत ने आरती की। श्रीभक्तमाल कथा आयोजन समिति के घनश्याम रामावत ने बताया कि अर्जुनराम मेघवाल, गुमानसिंह राजपुरोहित, पूर्व मंत्री डॉ. बीडी कल्ला, पूर्व मेयर नारायण चौपड़ा, महावीर सिंह, अशोक मोदी, गौरीशंकर मोहता, श्रीभगवान अग्रवाल, सुरेश कोठारी, गोपाल अग्रवाल, नंदकिशोर, महेशकांत स्वामी, चंद्रकांत देपावत, रामसुखलाल, डॉ. एलके कपिल आदि ने महाराजश्री का माल्यार्पण किया।

रामावत ने बताया कि पार्किंग व्यवस्था दामोदरप्रसाद पंचारिया, बृजरतन पंचारिया, मनीष, केशव संभाल रहे हैं तथा जल व्यवस्था का जिम्मा लक्ष्मीनारायण सुथार के जिम्मे है। इसी तरह पुरुष बैठक व्यवस्था में नन्दकिशोर स्वामी, महावीरप्रसाद शर्मा तथा शांतिलाल गहलोत और महिला बैठक में जयश्री भाटी, सुमन जाजड़ा, आरती, मानशी, प्रियंका व्यवस्थाएं संभाल कर सेवाएं प्रदान कर रही हैं। कथा आयोजन में गजानंद रामावत, महादेव रामावत, मयंक भारद्वाज, श्रवण सोनी, नरसिंहदास मीमाणी, ओमप्रकाश स्वामी, कुलदीप सोनी, गोपालदास, मदनदास आदि जुटे हुए हैं।

mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *