उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर अब आगे क्या?


नई दिल्ली, 21 जुलाई, 2025: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। इस इस्तीफे के साथ ही देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद खाली हो गया है। धनखड़ भारत के इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उनसे पहले वी.वी. गिरि (1969) और भैरों सिंह शेखावत (2007) ने अपने कार्यकाल के बीच में पद छोड़ा था। धनखड़ के इस्तीफे के बाद आगे क्या?- भारतीय संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। चूंकि इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है, ऐसे में उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह धनखड़ की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करेंगे।उपराष्ट्रपति चुनाव: प्रक्रिया और पात्रता
संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति का पद खाली होने पर उसे छह महीने के भीतर भरना अनिवार्य है। हालांकि, उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसी कोई निश्चित समय-सीमा निर्धारित नहीं है। इतना कहा गया है कि पद खाली होने के बाद जितनी जल्द हो सके चुनाव कराए जाएं। चुनाव आयोग जल्द ही कार्यक्रम की घोषणा करेगा। यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत होता है। संसद के किसी भी सदन के महासचिव को बारी-बारी से निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया जाता है।




कौन डाल सकता है वोट?
उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य और मनोनीत सदस्य ही वोट डाल सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत, इसमें राज्य विधानसभाएं भाग नहीं लेतीं, यानी विधायकों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता। कुल मतदाताओं की संख्या 788 होती है, बशर्ते सभी सीटें भरी हों। चुनाव प्रक्रिया (सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम): उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (एकल संक्रमणीय मत प्रणाली) से होता है। सांसद गुप्त मतदान करते हैं और उम्मीदवारों को वरीयता के अनुसार मत देते हैं। इसका अर्थ है कि वोटर अपनी पहली, दूसरी, तीसरी आदि पसंद को क्रम संख्या (रोमन अंकों में) लिखकर इंगित कर सकता है। मतदान के लिए आयोग द्वारा विशेष पेन उपलब्ध कराया जाता है।


मतगणना:
- सबसे पहले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को गिना जाता है।
- सभी उम्मीदवारों को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़कर कुल संख्या को 2 से भाग देकर भागफल में एक जोड़ा जाता है। इस संख्या को ‘कोटा’ कहा जाता है।
- यदि कोई उम्मीदवार पहले दौर में कोटे के बराबर या अधिक वोट प्राप्त कर लेता है, तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है।
- यदि ऐसा नहीं होता है, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। उसके मतों को वोटर की दूसरी वरीयता के आधार पर शेष उम्मीदवारों को ट्रांसफर कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है, जब तक कोई उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर लेता।
उपराष्ट्रपति उम्मीदवार की पात्रता:उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को निम्नलिखित योग्यताओं को पूरा करना होगा:
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
- राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने योग्य होना चाहिए।
- किसी भी संसदीय क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
- राष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री जैसे पदों को छोड़कर, केंद्र या राज्य सरकारों के अधीन किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल: चुने गए नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरे 5 साल का होगा, न कि जगदीप धनखड़ का बचा हुआ कार्यकाल।
कार्यकाल के बीच इस्तीफा देने वाले अन्य उपराष्ट्रपति: जगदीप धनखड़ से पहले, दो और उपराष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया था:
वी. वी. गिरि (1969): साल 1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद वी. वी. गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। उन्होंने 2 जुलाई 1969 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, ताकि वे राष्ट्रपति चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में हिस्सा ले सकें। ऐसा करके वह अपना कार्यकाल पूरा न करने वाले पहले उपराष्ट्रपति बने।
भैरों सिंह शेखावत (2007): 21 जुलाई 2007 को उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने यह फैसला तब लिया जब वे राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल से हार गए थे। शेखावत के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति का पद 21 दिनों तक खाली रहा था, जिसके बाद मो. हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति चुना गया, जिन्होंने 11 अगस्त 2007 से 10 अगस्त 2017 तक यह पद संभाला।
कार्यकाल में निधन वाले एकमात्र उपराष्ट्रपति: कृष्णकांत इकलौते ऐसे उपराष्ट्रपति रहे हैं, जिनका कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था। उनका निधन 27 जुलाई 2002 को हुआ था।
यह देखना होगा कि चुनाव आयोग कितनी जल्दी नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा करता है और कौन इस महत्वपूर्ण पद के लिए दावेदार बनता है।
उपराष्ट्रपति के लिए कौन हो सकता है उम्मीदवार? उपराष्ट्रपति बनने के लिए न्यूनतम योग्यता:
- भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष से अधिक आयु।
- राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने की पात्रता।
- किसी संसदीय क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत।
- कोई भी लाभ का पद (सरकारी सेवा आदि) नहीं होना चाहिए।
नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल?
नया उपराष्ट्रपति पूरा 5 साल का कार्यकाल करेगा। वह जगदीप धनखड़ के बचे कार्यकाल को पूरा नहीं करेगा। यह कार्यकाल चुनाव की तिथि से शुरू होकर पांच वर्षों तक चलेगा।