तपस्वियों का अभिनंदन समारोह संपन्न: कन्हैयालाल भुगड़ी सहित अनेक तपस्वियों का सम्मान, कल्प सूत्र पर क्विज सोमवार को



बीकानेर, 17 अगस्त। बीकानेर में आज गणिवर्य श्री मेहुल प्रभ सागर , मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला श्रीजी और शंखनिधि के पावन सान्निध्य में भव्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए। रविवार को दत सूरी तप और सिद्धि तप के तपस्वियों सहित 51 दिन के चौविहार (बिना अन्न-जल) तपस्वी कन्हैयालाल भुगड़ी का ढढ्ढा कोटड़ी में अभिनंदन किया गया। इस दौरान बच्चों के शिविर में उन्हें विधिपूर्वक पूजा करने का तरीका सिखाया गया।




तपस्वियों की शोभायात्रा और सम्मान
सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट और अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई ने सकल श्रीसंघ के सहयोग से आयोजित चातुर्मास में तपस्वियों का भव्य अभिनंदन किया। उन्हें चंदन, केसर, तिलक, माला, श्रीफल, अभिनंदन पत्र, प्रभावना, गुलाब जल, पंखी, झूलना, अक्षत, बधावना और अन्य उपहारों से सम्मानित किया गया। इस आयोजन में व्यक्तिगत सहभागिता के साथ-साथ अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा व महिला इकाई ने भी सक्रिय योगदान दिया।


गणिवर्य, मुनि और साध्वीवृंद के साथ, महावीर भवन से ढढ्ढा कोटड़ी तक गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। यहाँ कन्हैयालाल भुगड़ी और अन्य तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। सुप्रसिद्ध गायक मगन कोचर, सुनील पारख और अरिहंत नाहटा ने भक्ति व तपस्या की अनुमोदना में संगीतमय प्रस्तुतियाँ दीं। कोलकाता के चंद्र कुमार कोचर, दिल्ली के अरुण जैन, जैसलमेर की लीला देवी और रंजना जैन का संघ की ओर से बहुमान किया गया।
दादा दत सूरी तप के तपस्वी मुनि व साध्वीवृंद के साथ गाजे-बाजे से मुकीम बोथरा मोहल्ले के गुलाब चंद, फतेह चंद और शर्मिला खजांची के निवास पर पहुँचे। वहाँ तपस्या के दौरान 30 दिन तक तपस्वियों द्वारा पूजित और मुनि व साध्वीवृंद द्वारा अभिमंत्रित दादा गुरुदेव की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया गया।
प्रवचन और आगामी पर्युषण पर्व
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने शनिवार को अपने प्रवचन में कहा कि आगामी 20 अगस्त से पर्युषण पर्व शुरू हो रहा है। उन्होंने जैन धर्म के इस सबसे बड़े आध्यात्मिक पर्व के दौरान अधिकाधिक देव वंदन, पूजन, जप व तप, प्रतिक्रमण व सामयिक करने का आह्वान किया। उन्होंने श्रद्धालुओं से नियमित प्रवचन और भद्रबाहु स्वामी द्वारा रचित कल्प सूत्र की 9 वांचनाओं का श्रद्धा व ध्यानपूर्वक श्रवण करने को कहा। उन्होंने बताया कि कल्पसूत्र 45 आगमों में दशाश्रुत स्कंध का अंश है। गणिवर्य ने जोर दिया कि दृढ़ आत्मबल, देव, गुरु और धर्म की असीम कृपा से ही तपस्या होती है। उन्होंने कहा कि तपस्या से आत्म-निरीक्षण-परीक्षण होता है और तन-मन के विकार दूर होते हैं।
कल्प सूत्र पर क्विज प्रतियोगिता
सोमवार (18 अगस्त) को सुबह प्रवचन स्थल पर प्रमुख जैन धर्मग्रंथ कल्प सूत्र पर क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।