प्रदेश में मूंगफली अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने हेतु कार्यशाला आयोजित: किसानों और निर्यातकों को मिली तकनीकी जानकारी


बीकानेर, 12 जुलाई। राजस्थान की मूंगफली अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, व्यावसायिक अवसरों की पहचान करने, प्रसंस्करण चुनौतियों का सामना करने, मूल्य संवर्धन और निर्यात संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने हेतु आज स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (एसकेआरएयू), बीकानेर एवं एपीडा (APEDA), नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय मंथन कार्यक्रम आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के डीएचआरडी सभागार में आयोजित इस कार्यशाला में डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि इसमें प्रस्तुत सुझाव और निष्कर्ष राज्य की मूंगफली आधारित कृषि प्रणाली को अधिक वैज्ञानिक, लाभकारी एवं निर्यातोन्मुख बनाने की दिशा में मार्गदर्शक सिद्ध होंगे।




विशेषज्ञों ने किया संवाद
इस अवसर पर एपीडा के पूर्व बोर्ड सदस्य एवं साउथ एशिया बायोटेक सेंटर, जोधपुर के निदेशक डॉ. भागीरथ चौधरी, एपीडा, नई दिल्ली के उप महाप्रबंधक मन प्रकाश, शोध निदेशक डॉ. विजय प्रकाश, कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. टी. के. जोशी, संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चौधरी, सहित वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुजीत यादव, डॉ. एस. पी. सिंह, डॉ. बी. डी. एस. नाथावत और डॉ. नरेंद्र कुमार ने प्रतिभागियों से संवाद कर उनकी शंकाओं का समाधान किया।


तकनीकी सत्रों में गहन चर्चा
कार्यक्रम में तीन तकनीकी सत्रों में वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों, उद्योग प्रतिनिधियों, निर्यातकों एवं किसानों ने मूंगफली उत्पादन की तकनीक, रोग प्रबंधन, एफ्लाटॉक्सिन नियंत्रण, प्रसंस्करण एवं विपणन की रणनीतियों पर गहन चर्चा की।शोध निदेशक डॉ. विजय प्रकाश ने बताया कि भारत में मूंगफली की औसत उत्पादकता अभी भी 2.0 टन प्रति हेक्टेयर से कम है, जबकि चीन में यह 4.0 टन प्रति हेक्टेयर है। इसे बढ़ाने के लिए उन्नत किस्मों, संतुलित पोषण, उचित सिंचाई प्रबंधन तथा एफ्लाटॉक्सिन मुक्त उत्पादन तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। साथ ही, बैग में भंडारण तथा आवश्यक नमी बनाए रखने जैसे उपायों का भी सुझाव दिया गया।
एफ्लाटॉक्सिन नियंत्रण और सरकारी प्रोत्साहन
वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि एफ्लाटॉक्सिन एक प्रमुख निर्यात बाधा है, जिसकी स्वीकार्यता यूरोपीय देशों में <2 पीपीबी और अन्य देशों में <15 पीपीबी है। इसके प्रबंधन हेतु खेत से लेकर भंडारण तक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय स्तर पर एफ्लाटॉक्सिन परीक्षण के लिए पीसीआर या ईएलआईएसए आधारित प्रयोगशाला की स्थापना की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा उच्च ओलिक अम्ल वाली मूंगफली किस्मों को प्रोत्साहन देने के तहत 4000 किसानों को बीज वितरित किए गए हैं। अनुबंध खेती को बढ़ावा देने और किसान-उद्योग साझेदारी को मजबूत करने पर भी विचार प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के अंत में डॉ. एच. एल. देशवाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।