भारतीय भाषाओं ने प्रतिरोध को मुखर किया: कुलगुरु मनोज दीक्षित



हिंदी दिवस के अवसर पर राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति द्वारा आयोजित समारोह




श्रीडूंगरगढ़, 14 सितंबर। हिंदी दिवस के अवसर पर राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति द्वारा आयोजित समारोह में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि भारतीय भाषाओं ने देश के इतिहास में प्रतिरोध को मुखर किया है। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं ने लोक, संस्कृति और इतिहास को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने “हिंदी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता” विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) डेटा पर आधारित होती है और लेखन में पूरी तरह विश्वसनीय नहीं मानी जा सकती। उन्होंने इसके सीधे इस्तेमाल के बजाय सावधानीपूर्वक जांच-परख की आवश्यकता पर जोर दिया।


साहित्यिक सम्मान और संगोष्ठी
इस अवसर पर कई साहित्यकारों को सम्मानित किया गया:
- साहित्य श्री सम्मान: डॉ. पद्मजा शर्मा।
- नंदलाल महर्षि स्मृति हिंदी सर्जन पुरस्कार: देवेंद्र कुमार मिश्रा (जबलपुर)।
- सुरेश कंचन ओझा लेखन पुरस्कार: कुमार सुरेश।
- चंद्र मोहन हाड़ा हिमकर स्मृति पुरस्कार: विश्वनाथ तंवर।
- रामकिशन उपाध्याय समाज सेवा पुरस्कार: हरिशंकर बाहेती।
- शिव प्रसाद सिखवाल महिला लेखन पुरस्कार: संगीता सेठी (बीकानेर)।
- शब्द शिल्पी सम्मान: सुरेश कुमार श्रीचंदानी (अजमेर)।
- श्याम सुंदर नगला बाल साहित्य पुरस्कार: डॉ. नागेश पांडेय (शाहजहांपुर)।
समारोह में विधायक ताराचंद सारस्वत ने कहा कि हिंदी और भारतीय संस्कृति आपस में गहराई से जुड़ी हैं, इसलिए संस्कृति को बचाने के लिए हिंदी को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने दैनिक जीवन में स्वदेशी अपनाने पर भी जोर दिया।

डॉ. उमाकांत गुप्त ने “हिंदी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता- संभावनाएं और चुनौतियां” विषय पर बोलते हुए एआई के त्रिस्तरीय उपयोग समझाए और शोधार्थियों के लिए इसके संदर्भों को सुगम बनाने की बात कही। वहीं, साहित्यकार डॉ. गजादान चारण ने कहा कि एआई में संवेदना का अभाव होता है, जिससे वह कविता में काव्य के लालित्य को नहीं ला सकती। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोनिका गौड़ ने किया। राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति के अध्यक्ष श्याम महर्षि और मंत्री रवि पुरोहित ने संस्था की गतिविधियों और 65 साल की विकास यात्रा के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम में चेतन स्वामी, बजरंग शर्मा, रामचन्द्र जी राठी, गजानंद सेवग, मदन सैनी, सत्यनारायण योगी, सत्यदीप भोजक, महेश जोशी, सोहन ओझा, भवानी उपाध्याय, तुलसीराम चौरड़िया, विजय महर्षि, महावीर माली, नारायण सारस्वत, श्रीभगवान सैनी, महावीर सारस्वत, सुशीला सारण, मीना मोरवानी, प्रतिज्ञा सोनी, सरोज शर्मा, पूनमचंद गोदारा, श्रवण गुरनानी, सुनील खांडल, नंदकिशोर पारीक, हरीराम सारण, लक्ष्मी कांत वर्मा, दयाशंकर शर्मा, कैलाश शर्मा आदि साहित्य प्रेमी व गणमान्य जन उपस्थित रहे ।