श्रीमती रिद्धु देवी दुगड़ के संथारा संलेखना का आज 7 वां दिन

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दीपंकर छाजेड़

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बीकानेर , 18 मार्च। लूणकरनसर निवासी श्रीमती रिद्धु देवी दुगड़ धर्मपत्नी स्व श्री चौथमल जी दुगड़ को पुज्य गुरुदेव युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की स्वीकृति से “शासनश्री ” साध्वी श्री बसन्तप्रभा जी ने 17 मार्च को 9.11 बजे पूर्ण चेतन अवस्था में पारिवारिक जनों की सहमती से तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवाया । इन्होने पांच दिनों की तपस्या के बाद संथारा स्वीकार किया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा, महिला मंडल एवं युवक परिषद के पदाधिकारीगण तथा समाज के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही ।

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श्रीमती रिद्धु देवी दुगड़ अपने जीवन के शताब्दी वर्ष में जीवन यापन कर रही है। इनके भतीजे के पुत्र जितेन्द्र बोथरा ने बताया कि इन्होने चेतन अवस्था में संथारा स्वीकार करके मौत को ललकारा है। परिजनों ने बताया कि अपने जीवन में बराबर तपस्या भी करती व हमेशा यह कहती की मुझे अंतिम समय में संथारा पचखा देना। इन्होने 1 से 9 की लड़ी व अनेक उपवास किये हैं। पांच पुत्र व पांच पुत्रियों का परिवार है। जो भी परिजन देश – विदेश में रहतें हैं सब लूणकरणसर पहुँच गए हैं।
साध्वी श्री बसंतप्रभा जी जिनका चातुर्मास जोरावरपुरा नोखा में हैं वो आचार्य श्री महाश्रमण जी के आदेश से संथारा की परिसम्पन्नता तक लूणकरणसर प्रवास पर रहेंगे।

संथारा साधिका के दर्शनार्थ मेला सा लगा हुआ है। कालू , श्रीडूंगरगढ़ , गंगाशहर व आसपास के क्षेत्रों से लोग दर्शनार्थ पहुँच रहें हैं। रात्रि भर जप व गीतिकाओं का संगान चल रहा है।पौत्र जितेन्द्र बोथरा की मां श्रीमती हेमलता बोथरा ने बताया की बोथरा खानदान में हमारे जीवन में संथारा देखने का यह प्रथम अवसर है।गंगाशहर से उनके रिश्तेदार मनीष – मोना व दीपंकर छाजेड़ भी लूणकरणसर पहुंचे व उनके दर्शन करके खमतखामना किया।

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