साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी का चयन दिवस का आयोजन


गंगाशहर , 10 मई। तेरापंथ धर्मसंघ की वर्तमान साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी का चयन दिवस बोथरा भवन में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के सानिध्य में मनाया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना विक्रम संवत 1817 में हुई और प्रथम साध्वी दीक्षा विक्रम संवत 1821 में हुई। एक समय था जब लोग कहते थे कि तेरापंथ का लाड्डू खान्डा है। एक दिन ऐसा था जब तेरापंथ में साध्वी सामाज नहीं था। तीन बहनों ने दीक्षा लेने की प्रार्थना की तब आचार्य भिक्षु ने कहा कि तीन में से कोई एक नहीं रहने पर दो को अनशन स्वीकार करना होगा। इस प्रकार कड़ी परीक्षा के बाद उन्हें दीक्षा दी गई। आज तेरापंथ में साधु संतों से ज्यादा साध्वियों की संख्या है।आचार्य श्री भिक्षु के पुरूषार्थ के कारण ही आज तेरापंथ धर्म संघ का यह रूप देखने को मिल रहा है। आचार्य भिक्षु से लेकर आचार्य महाश्रमण जी तक सभी आचार्यो ने श्रावक श्राविकाओं को धर्म साधना में लगाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं।संतुलन से साधना की शुरुआत होती है। लाडनूं की धरती में कुछ विशेषताएं हैं। लाडनूं में श्रावक श्राविकाओं भी बहुत विशेषताएं लिए हुए थी। आचार्य तुलसी भी लाडनूं से थे और तेरापंथ धर्मसंघ की तीन साध्वी प्रमुखा लाडनू से हैं जिसमें साध्वी प्रमुखा लड़ाजी, साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा जी, एवं साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी। साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत, जर्मनी अनेक भाषाओं के ज्ञाता है। साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी गुरुदेव के संघीय कार्यो में सहयोगी के रूप में काम देखते हैं। सभी साध्वी समाज की देखभाल, चातुर्मास की व्यवस्था एवंं अन्य व्यवस्थाओं में गुरुदेव के कार्यों में सहयोगी रहते हैं। मुनि श्री ने कहा कि साध्वी विश्रुतविभा जी बहुत विनयवान है। उनकी भाषण शैली जन जन को प्रभावित कर रही है। तत्वज्ञान, जैन दर्शन एवं सिद्धांतो के विद्वान हैं। आगम संपादन कार्यों में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की 100 से अधिक पुस्तकों का संपादन किया। महिलाओं को आगे बढ़ाने में उनका दिशा निर्देश बराबर मिलता रहा है। समाज में रूढ़ियों को दूर करने में साध्वी प्रमुखा लाड़ा जी ने भी बहुत श्रम किया था। साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी आज भी समाज में बुराइयों को दूर करने में प्रयत्नशील है।
साध्वी प्रमुखा श्री जी तपस्या के साथ पदयात्रा भी पूरे देश – विदेश में कर रहे हैं। जो हमें प्रेरणा देता है कि हम धर्म संघ के कार्यों में, समाज सुधार के कार्यों में, अध्यात्म के कार्यों में आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाने के प्रयासों में सतत प्रयास करते रहे ।
इस अवसर पर मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी के चयन दिवस के अवसर पर मुनि श्री कमल कुमार के द्वारा रचित छन्दों का वाचन किया।
कार्यक्रम में श्रीमती कनक गोलछा तेरापंथी सभा, गंगाशहर से श्रीमती मंजु आंचलिया, तेयुप से ललित राखेचा, अणुव्रत समिति से अनिल बैद, शान्ति प्रतिष्ठान से किशन बैद महिला मंडल से बिन्दु छाजेड़ ने अपने भावों से वर्धापित किया।



