राजस्थान में साइबर अपराधों पर लगेगी लगाम! अब हर थाने में ‘साइबर हेल्प डेस्क’

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जयपुर, 1 जुलाई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा को लेकर भी पूरी तरह सजग है। बढ़ते साइबर अपराधों और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है: राज्य के सभी पुलिस थानों में अब ‘साइबर हेल्प डेस्क’ की स्थापना की जा चुकी है।

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क्या है साइबर हेल्प डेस्क और कैसे करें इसका इस्तेमाल?

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साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही है। इसकी मदद से कोई भी नागरिक यदि किसी संदिग्ध मोबाइल नंबर या IMEI नंबर की जानकारी रखता है, तो उसे अब केवल cyberpolice.nic.in पोर्टल के माध्यम से आसानी से ब्लॉक करवा सकता है। यह सुविधा खासतौर से उन मामलों में बेहद कारगर साबित होगी, जहां किसी का मोबाइल चोरी हो गया हो या फिर किसी फर्जी कॉल या फ्रॉड नंबर से ठगी की गई हो। सरकार की इस पहल से न केवल साइबर अपराधियों पर लगाम लगेगी, बल्कि आम लोगों में डिजिटल सुरक्षा की भावना भी बढ़ेगी। पोर्टल पर जाकर कोई भी नागरिक संदिग्ध नंबर की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है और त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर सकता है।

साइबर ठगी से बचने के लिए क्या करें?
साइबर क्राइम अवेयरनेस अभियान के तहत अब राज्य में आम जनता को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें, अपना OTP साझा न करें और किसी अनजान नंबर से आई कॉल पर सतर्क रहें। राज्य सरकार का स्पष्ट संदेश है—डिजिटल राजस्थान, सुरक्षित राजस्थान।

साइबर अपराध क्या है?
साइबर अपराध कंप्यूटर या इंटरनेट का उपयोग करके किए जाने वाले सभी प्रकार के गैरकानूनी कामों को कहते हैं। इसमें हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, वायरस फैलाना और वित्तीय धोखाधड़ी जैसी कई गतिविधियां शामिल होती हैं। ये अपराध ऑनलाइन या डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके किए जाते हैं। साइबर अपराध निजी व्यक्तियों से लेकर कारोबार, व्यवसायों और यहां तक कि सरकारों के लिए भी एक गंभीर खतरा है, जिसका शिकार कोई भी बन सकता है।

अगर आपके साथ हो जाए ठगी तो सबसे पहले क्या करें?

यदि आप साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो घबराएं नहीं और तुरंत कुछ कदम उठाएं:

  • तत्काल रिपोर्ट करें: जितना जल्दी हो सके, हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या cyberpolice.nic.in पर अपनी शिकायत दर्ज करें। यह पहली और सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाई है।
  • वित्तीय लेनदेन रोकें: यदि ठगी में आपके बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल हुआ है, तो तुरंत अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी से संपर्क करें और संदिग्ध लेनदेन को रुकवाएं या कार्ड ब्लॉक करवाएं।
  • सभी साक्ष्य सुरक्षित रखें: धोखाधड़ी से संबंधित सभी जानकारी, जैसे संदेश, ईमेल, कॉल रिकॉर्डिंग, ट्रांजैक्शन आईडी, स्क्रीनशॉट आदि को सुरक्षित रखें। ये जांच में सहायक होंगे।
  • पासवर्ड बदलें: यदि आपकी किसी ऑनलाइन अकाउंट का एक्सेस ठगों को मिल गया है, तो तुरंत सभी संबंधित अकाउंट्स के पासवर्ड बदल दें।

इन कदमों से आप नुकसान को कम कर सकते हैं और अपराधियों को पकड़ने में मदद कर सकते हैं।

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