राजस्थान में 4 लाख की रिश्वत में ‘नकली नोटों’ का खेल , मिल गए जेल के टिकट


- ACB ने नागौर में सहायक नगर नियोजक को दबोचा
नागौर, राजस्थान, 2 जुलाई। राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ा उदाहरण सामने आया है। नागौर नगर परिषद में तैनात सहायक नगर नियोजक (ATP) कौशल कुमावत को बुधवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 4 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि रिश्वत में दिए गए अधिकांश नोट नकली थे, जिसे ACB ने एक हाई-वोल्टेज ऑपरेशन के तहत बिछाया था।




प्रोजेक्ट पास कराने के लिए मांगी थी 5 लाख की ‘फीस’
ACB मुख्यालय से जारी बयान के अनुसार, शिकायतकर्ता ने ACB को बताया था कि उसका भतीजा एक नया वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए तकनीकी रिपोर्ट आवश्यक थी, और ATP कौशल कुमावत इस रिपोर्ट को “सकारात्मक” बनाने के बदले 5 लाख रुपये की रिश्वत की मांग कर रहा था।


नकली नोटों के साथ बिछाया गया जाल, रंगे हाथों हुई गिरफ्तारी
शिकायत मिलने के बाद ACB ने 1 जुलाई को रिश्वत की मांग की पुष्टि की। इसके बाद, 2 जुलाई को एक सुनियोजित जाल बिछाया गया। योजना के तहत, रिश्वत की रकम में 20,000 रुपये असली नकद और 3.80 लाख रुपये के डमी (नकली) नोट शामिल थे। जैसे ही कौशल कुमावत ने यह रकम स्वीकार की, मौके पर मौजूद ACB टीम ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया। इस सफल ऑपरेशन को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कल्पना सोलंकी के नेतृत्व में और ACB अजमेर रेंज के डीआईजी कालूराम रावत की निगरानी में अंजाम दिया गया। टीम की कुशल योजना के कारण आरोपी अधिकारी को कोई सफाई देने का मौका तक नहीं मिल पाया।
कानूनी कार्रवाई और आगे की जांच
ACB ने आरोपी कौशल कुमावत के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। अब उससे यह भी पूछताछ की जा रही है कि क्या उसने पहले भी किसी अन्य योजना या प्रोजेक्ट में रिश्वत लेकर गलत रिपोर्ट तैयार की है। ACB टीम इस मामले में अन्य अधिकारियों की संभावित संलिप्तता की भी जांच कर रही है।
सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ का मजबूत संदेश
राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए लागू की गई ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ के तहत ACB की यह कार्रवाई एक मजबूत संदेश देती है। यह बताती है कि यदि कोई अधिकारी रिश्वत लेने की सोच भी रहा है, तो अगला नंबर उसका हो सकता है। यह घटना सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आम आदमी की शिकायत पर यदि समय रहते कार्रवाई हो, तो भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार किया जा सकता है। अब देखना यह है कि ऐसे भ्रष्ट अफसरों पर शिकंजा कब तक कसता रहेगा।