पल्लावरम में मासखमण प्रत्याख्यान समारोह- निर्मलजी रांका ने किया 28 दिन का तप



पल्लावरम, तमिलनाडु, 3 अगस्त। पल्लावरम क्षेत्र स्थित तेरापंथ भवन में युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीपकुमारजी ठाणा-2 के सान्निध्य में आज निर्मलजी रांका (सुपुत्र स्व. श्री राजमलजी रांका) ने 28 दिन के मासखमण तप का प्रत्याख्यान समारोह किया। यह आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा, पल्लावरम द्वारा किया गया। प्रबल मनोबली ही मासखमण तप कर सकते हैं”: मुनिश्री दीपकुमारजी मुनिश्री दीपकुमारजी ने इस अवसर पर कहा कि मासखमण जैसी कठोर तपस्या केवल प्रबल मनोबल वाले व्यक्ति ही कर सकते हैं। उन्होंने निर्मलजी रांका की तपस्या को उनके दृढ़ मनोबल का परिचायक बताया। मुनिश्री ने तप के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तप मंगलकारी है क्योंकि यह शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा चारों को मंगलमय बनाता है। तप शरीर के रोगों को दूर करता है और जैन शासन की प्रभावना का हेतु है। उन्होंने कहा कि आज के युग में इतनी बड़ी तपस्या किसी चमत्कार से कम नहीं है और यह चातुर्मास में दी गई एक अमूल्य भेंट है। मुनिश्री ने इस तपस्या को गुरुदेव आचार्य महाश्रमणजी की कृपा का फल बताया और कहा कि उनके शासनकाल में चारों ओर तप की ज्योति प्रज्वलित हो रही है। मुनिश्री ने तपस्वी के लिए एक स्वरचित गीत का भी संगान किया। मुनि श्री काव्यकुमारजी ने संचालन करते हुए कहा कि तपस्या से आत्मा की शुद्धि होती है। उन्होंने निर्मलजी रांका के इस तप को संकल्प बल की मजबूती का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।




तपस्वी का सम्मान और अन्य प्रस्तुतियाँ
तेरापंथी सभा और तेरापंथ महिला मंडल, पल्लावरम की तरफ से तपस्वी निर्मलजी रांका को ‘मासखमण तप अभिनंदन पत्र’ प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर तेरापंथी सभा अध्यक्ष दिलीप भंसाली, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा लता गिरिया, परिवार की ओर से राकेश रांका, संगीता रांका, नमन रांका, पवन मेहता, विभा बम्बोली, तितिक्षा, और तेयुप-चेन्नई सहमंत्री श्रीकांत चौरड़िया सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार और गीत प्रस्तुत किए। तेरापंथ महिला मंडल ने सामूहिक गीत का संगान किया, जबकि तेरापंथ कन्या मंडल की कन्याओं ने एक नाटक प्रस्तुत किया। विवेक पितलिया ने साध्वीप्रमुखा जी के संदेश का वाचन किया।

