चेन्नई में ‘विघ्नहर ह्रीं कार अनुष्ठान’ का भव्य आयोजन: आध्यात्म और साधना का अनूठा संगम



किलपॉक, चेन्नई, 4 अगस्त। तमिलनाडु के इतिहास में पहली बार और मुनि मोहजीतकुमार के सान्निध्य में पंचम बार ‘विघ्नहर ह्रीं कार अनुष्ठान’ का भव्य आयोजन तेरापंथ युवक परिषद्, किलपॉक के तत्वावधान में संपन्न हुआ। इस अनूठे अनुष्ठान में 151 जोड़ों सहित सैकड़ों अनुष्ठानकर्ताओं ने ‘ह्रीं कार’ की आकृति में बैठकर आचार्य सिद्धसेन द्वारा रचित कल्याण मंदिर स्तोत्र का मुनि जयेशकुमारजी के भावपूर्ण संगान के साथ उच्चारण एवं श्रवण किया। कल्याण मंदिर स्तोत्र: चमत्कारी घटना और भक्ति का महत्व
अनुष्ठान स्वर प्रस्तोता मुनि जयेशकुमार ने कल्याण मंदिर स्तोत्र की रचना से जुड़ी विशिष्ट चमत्कारी घटना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रभु पार्श्वनाथ का माहात्म्य और प्रभाव तीर्थंकर परंपरा में अपना अलग, विशिष्ट स्थान रखता है। उन पर रचित अनेक स्तोत्र भक्तों की आस्था के अनन्य केंद्र हैं, और इन्हीं स्तोत्रों की कड़ी में कल्याण मंदिर स्तोत्र का एक महत्वपूर्ण नाम है।




मुनि जयेशकुमार ने बताया कि इस स्तोत्र के रचयिता आचार्य सिद्धसेन एक क्रांतिकारी पुरुष थे। वे कहते थे, “मेरा जन्म सिर्फ अतीत के गीत गाने नहीं हुआ है। अगर मैं कुछ नया नहीं कर सकूं तो मेरा जीवन व्यर्थ है।” ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति द्वारा महान भक्ति काव्य की रचना कुछ विचित्र लग सकती है। लेकिन सिद्धसेन भक्ति विरोधी नहीं थे। उन्हें वह स्तुति पसंद थी जो अपने आराध्य के गुणों को आत्मसात करने का भाव जागृत करे, न कि जो सिर्फ अपनी स्वार्थ सिद्धि का प्रयत्न हो। उन्होंने कामना की कि यह अनुष्ठान भी सभी के लिए विघ्न निवारक, सिद्धि दायक होने के साथ ही प्रभु पार्श्वनाथ के गुणों को अपनाने की प्रेरणा प्रदान करने वाला बने।


युवाओं का उत्साह और ‘ह्रीं’ का पिरामिड
अनुष्ठान कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद (अभातेयुप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा ने नवगठित तेयुप किलपॉक टीम को मुनिवरों के मार्गदर्शन में इस ऐतिहासिक उपक्रम के सफल आयोजन हेतु बधाई दी और युवाओं को प्रोत्साहित किया। उन्होंने मुनि जयेशकुमार द्वारा प्रस्तुत कल्याण मंदिर स्तोत्र के संगान की अनुमोदना करते हुए कहा कि मुनिश्री के स्वरों के वाइब्रेशन ने उन्हें अंतर तक प्रकम्पित कर दिया।
अनुष्ठान का शुभारम्भ नमस्कार महामंत्र के साथ हुआ। मुनि भव्यकुमार ने ‘प्रभु पार्श्व देव चरणों में’ गीत का संगान कर अनुष्ठान के क्रम को आगे बढाया। तेयुप अध्यक्ष राकेश डोसी ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया। ‘ॐ श्री पार्श्वनाथाय’ के सह मंत्रोच्चार से वातावरण में एक अपूर्वता प्रदान की गई। अनुष्ठान के दौरान ‘ह्रीं’ का पिरामिड प्रत्येक सदस्य के सिर पर शक्ति को केंद्रीकृत कर रहा था। ‘ह्रीं’ आकृति में रोशनी का नवीनीकरण स्पॉट रोशनी के माध्यम से किया गया। इस ह्रीं कार अनुष्ठान में 151 जोड़ों की सहभागिता उनकी साधना के उत्साह को मुखर कर रही थी। चेन्नई के इतिहास में ऐसा उपक्रम संपूर्ण नवीनता एवं आध्यात्मिकता लिए हुए प्रथम बार हुआ।
सफल आयोजन में सहयोग
कार्यक्रम की सफल आयोजना में तेयुप अध्यक्ष राकेश डोसी, मंत्री सुनील सकलेचा, अनुष्ठान संयोजक अभिषेक नाहर, सहसंयोजक आलोक सेठिया एवं सम्पूर्ण तेयुप, तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, किलपॉक के सदस्यों का विशेष योगदान रहा। आभार अभिषेक नाहर ने व्यक्त किया।