आर्य समाज में श्रावणी उपाकर्म, संस्कृत दिवस, रक्षा बंधन और हैदराबाद धार्मिक स्वतंत्रता विजय दिवस समारोह पूर्वक मनाए गए

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बीकानेर, 9 अगस्त। महर्षि दयानन्द मार्ग स्थित आर्य समाज, बीकानेर में आज श्रावणी उपाकर्म, संस्कृत दिवस, रक्षा बंधन और हैदराबाद धार्मिक स्वतंत्रता विजय दिवस जैसे कई महत्वपूर्ण पर्वों को बड़े ही उत्साह और समारोह पूर्वक मनाया गया।
श्रावणी उपाकर्म और यज्ञोपवीत धारण
मंत्री भगवती प्रसाद सोनी ने बताया कि श्रावणी उपाकर्म के अवसर पर विशेष मंत्रों की आहुतियों के साथ यज्ञ किया गया। इस दिन सभी को यज्ञोपवीत धारण कराया गया, और जिन्होंने पहले से यज्ञोपवीत धारण किया हुआ था, उन्होंने पुराना उतार कर नया यज्ञोपवीत धारण किया। यह परंपरा आत्म-शुद्धि और ज्ञानार्जन के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

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संस्कृत का महत्व और संरक्षण का आह्वान
प्रोफेसर केशर मल शास्त्री ने इन पर्वों की महत्ता बताते हुए सभी को स्वाध्याय और यज्ञ को जीवन में कभी न छोड़ने का संकल्प लेने को कहा। श्री सत्श्रुत उपाध्याय ने संस्कृत को संसार की सबसे प्राचीनतम भाषा बताया। उन्होंने कहा कि जब से हमने संस्कृत भाषा से नाता तोड़ा है, हमारी संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान-विज्ञान छूट गया है, मानो यह वसुंधरा हमसे रूठ सी गई है।

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धर्मवीर गोम्बर ने संस्कृत को देवों, ईश्वर और वेद की वाणी बताते हुए इसे सभी भाषाओं की जननी कहा। उन्होंने इसकी वैज्ञानिकता और देवनागरी लिपि की विशिष्टता पर प्रकाश डाला। श्रीमती अमिता ठाकुर ने सभी से संस्कृत भाषा के संरक्षण, संवर्धन, प्रचार और प्रसार में अपना योगदान देने का आह्वान किया, इसे अपनी उन्नति से जोड़ते हुए। शिक्षाविद राकेश व्यास ने बताया कि दुनिया में सबसे अधिक साहित्य और शब्दों का भंडार संस्कृत भाषा में ही है। उन्होंने कहा कि वेद स्वाध्याय के इस महान पर्व पर संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए समाज के मनीषियों ने इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया है।

इस अवसर पर राजकुमारी व्यास, श्रीमती रूपा सोनी, श्रीमती लक्ष्मी सोनी, सीता सोनी, सुनीता सोनी, उषा जी, गायत्री सोनी और धर्मवीर आसेरी ने भक्तिपूर्ण भजनों की प्रस्तुतियां दीं, जिससे वातावरण और भी आध्यात्मिक हो गया।

हैदराबाद धार्मिक स्वतंत्रता विजय दिवस और आर्य समाज का आंदोलन
अंत में, प्रधान महेश आर्य ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और आर्य समाज द्वारा 1939 में चलाए गए हैदराबाद आंदोलन के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार हैदराबाद में निज़ाम द्वारा चलाए जा रहे दमन के विरोध में आर्य समाज द्वारा एक अहिंसक आंदोलन चलाया गया था। निज़ाम ने हिंदुओं को नए मंदिर बनाने, उत्सव मनाने, जुलूस निकालने और पुराने मंदिरों की मरम्मत करने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके खिलाफ आर्य समाज ने यह ऐतिहासिक आंदोलन शुरू किया था। यह समारोह धर्म, संस्कृति, भाषा और स्वतंत्रता के मूल्यों को एक साथ मनाने का एक अनूठा संगम रहा।

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