स्टेज-4 कैंसर के रोगी को मिला नया जीवन: हार्ट की बाइपास सर्जरी के बाद सफल हुई कैंसर सर्जरी



बीकानेर, 15 सितंबर। बीकानेर के आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर में डॉक्टरों की टीम ने एक जटिल केस में स्टेज-4 ओरल कैंसर के मरीज को नया जीवन दिया है। रोगी को न सिर्फ कैंसर था, बल्कि एक गंभीर हृदय रोग भी था, जिसके कारण कैंसर की सर्जरी बेहद जोखिम भरी थी।




दिल की सर्जरी पहले, कैंसर का इलाज बाद में
65 वर्षीय सोहनलाल (बदला हुआ नाम), जो स्टेज-4 ओरल कैंसर से पीड़ित थे, दर्द के कारण खाना-पीना लगभग छोड़ चुके थे। उनकी प्री-ऑपरेटिव रिपोर्ट में यह सामने आया कि उन्हें गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस (हृदय की एक बीमारी) थी। इस स्थिति में, अगर सीधे कैंसर का ऑपरेशन किया जाता तो उनकी जान को खतरा था।


आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटरऑन्को सर्जन डॉ. संदीप गुप्ता ने अपने जयपुर स्थित बैचमेट सीटीवीएस सर्जन डॉ. अंकित माथुर से संपर्क किया। मरीज को जयपुर ले जाया गया, जहां उनकी पहले हार्ट की बाइपास सर्जरी की गई। इसके बाद, बीकानेर के डॉक्टरों की टीम ने कैंसर के खिलाफ अपनी जंग शुरू की। करीब 10 घंटे तक चली जटिल सर्जरी और रिकंस्ट्रक्शन के बाद, डॉ. संदीप गुप्ता ने मरीज की पत्नी को बताया कि उनके पति अब ठीक हैं, जिससे उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए।
स्टेज-4 के अन्य सफल मामले
सेंटर ने पहले भी स्टेज-4 के कई मरीजों को सफलतापूर्वक ठीक किया है। कुछ प्रमुख उदाहरण:
केस 1: चूरू निवासी कमल (बदला हुआ नाम), जिन्हें तंबाकू और गुटखे के सेवन से स्टेज-4 का मुंह का कैंसर हुआ था। 2016 में ऑपरेशन के बाद, वे आज सामान्य जीवन जी रहे हैं।
केस 2 और 3: हनुमानगढ़ के नोहर निवासी सुसेराम (बदला हुआ नाम) (2018 में ऑपरेशन) और नयनसुख (बदला हुआ नाम) (2019 में ऑपरेशन) दोनों पैंक्रियाज कैंसर से पीड़ित थे और आज स्वस्थ हैं।
भारत में मुंह का कैंसर पुरुषों में ज्यादा 14.7%
विश्व कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार 2022 में विश्व में मुंह के कैंसर के 1,43,759 नए मामले सामने आए। पुरुषों में यह दर सबसे ज्यादा 14.7 प्रतिशत प्रति 1,00,000, जबकि महिलाओं में 5.5 प्रति 1,00,000 है। भारत में अधिकांश मरीज देर से अस्पताल में आते हैं। लगभग 70% मरीज उस वक्त आते हैं जब कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंच जाता है। देर से आने के कारण इलाज कठिन हो जाता है और मृत्यु दर अधिक रहती है। इसका मुख्य कारण तंबाकू, गुटखा, सुपारी, शराब का सेवन एवं अस्वस्थ भोजन है। समय पर स्क्रीनिंग और जागरूकता की कमी होने से यह समस्या बढ़ रही है।
कैंसर के मामले और जागरूकता
आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर के ऑन्को सर्जन डॉ. संदीप गुप्ता ने बताया कि भारत में मुंह का कैंसर पुरुषों में सबसे ज्यादा (14.7%) होता है। दुखद बात यह है कि लगभग 70% मरीज तीसरी या चौथी स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे इलाज और भी मुश्किल हो जाता है और मृत्यु दर बढ़ जाती है। इसका मुख्य कारण तंबाकू, गुटखा, सुपारी और शराब का सेवन है। डॉ. गुप्ता और आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर की निदेशक डॉ. नीति शर्मा दोनों ने समय पर स्क्रीनिंग और जागरूकता को बहुत जरूरी बताया, ताकि बीमारी को शुरुआती चरणों में ही रोका जा सके।
यह खबर इस बात का प्रमाण है कि भले ही कैंसर का इलाज कठिन हो, लेकिन सही समय पर और सही चिकित्सा मिलने पर, स्टेज-4 के मरीज भी एक स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकते हैं।