आडंबर मुक्त तपस्या ही सच्ची तपस्या है: मुनि कमल कुमार

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गंगाशहर, 15 सितंबर। आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनि श्री कमलकुमार जी के पावन सान्निध्य में मासखमण तपस्या करने वाले तपस्वियों का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री कमलकुमार जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आडंबर (दिखावे) से रहित साधना ही वास्तव में सच्ची तपस्या है।
तपस्वी और उनकी साधना
मुनिश्री ने विनय-सारिका के साधनापूर्ण जीवन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मासखमण करना कठिन होता है, लेकिन नियमित रूप से प्रवचन सुनना और सामायिक करना उससे भी बड़ी बात है। उन्होंने विनय को सरल, सहिष्णु और विनम्र बताया, जबकि सारिका को भी इन्हीं गुणों से संपन्न बताते हुए उनकी सेवा और बच्चों को दिए गए अच्छे संस्कारों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विनय का मासखमण सभी के लिए प्रेरणा है।

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संयोग से, प्रियंका रांका ने भी तपस्या शुरू की थी और समारोह के दिन तीनों (विनय, सारिका और प्रियंका) की तपस्या के 27 दिन पूरे हुए। मुनिश्री ने कहा कि तीनों का एक ही क्षेत्र में रहने से साता पूछने और गीतिका सुनाने आने वालों को सुविधा होती है।

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समारोह और स्वागत
समारोह में साध्वी प्रमुखा जी के संदेश का वाचन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया। चोपड़ा परिवार की बहनों ने सामूहिक रूप से गीतिका का गान किया। महेंद्र सोनावत ने परिवार की ओर से तपस्वियों का अभिनंदन करते हुए विनय के जीवन पर प्रकाश डाला। विनय ने स्वयं भी माइक पर आकर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। मुनिश्री ने भी अपने स्वरचित गीतिका का संगान किया।

तेरापंथी सभा, महिला मंडल और युवक परिषद के सदस्यों ने तपस्वियों का स्वागत पताका और साहित्य भेंट करके किया। इस अवसर पर तीनों तपस्वियों ने 27 दिनों की तपस्या के लिए प्रत्याख्यान किए। साथ ही, श्रीमती तारादेवी बैद की तपस्या और संथारे का 64वां दिन भी आनंदपूर्वक चल रहा था।

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