मुनि नमिकुमार जी ने 40 तक की तप लड़ी सानंद की सम्पन्न



गंगाशहर, 4 अक्टूबर । उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी के पावन सान्निध्य में मुनि नमिकुमार जी के तप वर्धापन (तपस्या पूर्ण होने का उत्सव) का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री कमलकुमार जी ने नमिकुमार जी की असाधारण तपस्या और संयम जीवन की सराहना की।
नववर्षीय दीक्षा पर्याय में बनाया नया कीर्तिमान
मुनिश्री कमलकुमार जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में फरमाया कि मुनि नमिकुमार जी ने केवल नौ वर्ष की दीक्षा पर्याय में तपस्या और लंबे विहारों का एक नया इतिहास बना दिया है। उन्होंने बताया कि जहाँ एक वर्ष में एक मासखमण (30 दिन की तपस्या) करने वाले कम लोग मिलते हैं, वहीं नमि मुनि ने मात्र आठ महीने और कुछ दिनों में 17, 22, 23, 24, 39 और 40 दिन की तपस्याएँ (तप लड़ी) करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। मुनि नमिकुमार जी पूर्व में 51 और 62 दिन की दीर्घ तपस्याएँ भी कर चुके हैं।




मुनिश्री कमलकुमार जी ने बताया कि इस बार नमि मुनि की भावना 41 दिन की थी, लेकिन उन्होंने तप लड़ी पूरी करने के लिए उन्हें पहले 40 दिन तक ही सीमित रहने को कहा। मुनिश्री ने नमि मुनि के दृढ़ मनोबल और प्रायः स्वावलंबी रहकर तपस्या करने की विशेष प्रशंसा की।



तपस्वी मुनि श्रेयांसकुमार जी का भी हुआ वर्धापन
मुनिश्री कमलकुमार जी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उनके पास दो-दो महान तपस्वी हैं। उन्होंने मुनि श्रेयांसकुमार जी की तपस्या का भी उल्लेख किया। मुनि श्रेयांसकुमार जी ने इसी प्रवास में 5, 12, 13, वर्षीतप, धर्मचक्र कंठी तप और चौंतीस दिन की दीर्घ तपस्या करके कई प्रकार के रोगों से छुटकारा पाया है और एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
आगामी वर्ष के लिए मंगल कामना
मुनिश्री कमलकुमार जी ने मुनि नमिकुमार जी को सहिष्णुता, सेवा, स्वाध्याय और कंठस्थ के क्रम में भी नया इतिहास बनाने का आदेश दिया। उन्होंने मंगल कामना करते हुए कहा कि आगामी योगक्षेम वर्ष में दोनों तपस्वी मुनि आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में लाडनू में दीर्घ तपस्याएँ करके पूरे धर्म संघ के लिए प्रेरणा स्रोत बनें।
कार्यक्रम के दौरान मुनिश्री कमलकुमार जी ने नवीन छंदों का निर्माण करके नमि मुनि का वर्धापन किया, जबकि मुनि श्रेयांस कुमार जी ने दोहों के माध्यम से उन्हें बधाई दी। मुनि बिमलबिहारी जी और मुनि प्रबोध कुमार जी ने भी अपने उन्नत विचारों से नमि मुनि के तप का अभिवादन किया।

