शरद पूर्णिमा पर ‘गणी सोहई भिक्खुमज्झे’ महाशक्ति जप अनुष्ठान संपन्न



राजराजेश्वरी नगर, 8 अक्टूबर । शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर, राजराजेश्वरी नगर स्थित तेरापंथ भवन में 7 अक्टूबर को सायंकाल ‘गणी सोहई भिक्खुमज्झे’ शरद पूर्णिमा महाशक्ति जप अनुष्ठान का आयोजन किया गया। यह आध्यात्मिक कार्यक्रम साध्वी पुण्ययशाजी एवं उनकी सहवर्तिनी साध्वी विनितयशाजी, वर्धमानयशाजी, बोधिप्रभाजी के सान्निध्य में और श्रावक जितेन्द्र जी घोषल तथा विक्रम जी दुगड़ के निर्देशन में संपन्न हुआ।
मंत्रों की शक्ति और एकाग्रता का महत्व
साध्वी श्री पुण्ययशाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में मंत्रों की असीमित शक्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बीजाक्षर मंत्र लघुकाय होते हुए भी अध्यात्म शक्ति के अक्षय स्त्रोत होते हैं, और किसी मंत्र के साथ बीजाक्षर जोड़ने से उसमें अद्भुत शक्ति पैदा हो जाती है। उन्होंने बताया कि ध्वनि और मुद्रा पूर्वक किया गया आह्वान दिव्य शक्तियों के साथ संपर्क स्थापित करने का माध्यम बनता है। बीमारी और तनाव से मुक्ति: साध्वीश्री ने ज़ोर दिया कि एकाग्रता मंत्र साधना का प्राण है। मंत्र के साथ मुद्रा, श्वास चैतन्य केंद्र और रंग की सही समायोजना होने से जीवन की समस्याओं, बीमारियों और मानसिक तनाव आदि को दूर किया जा सकता है।




अनुष्ठान और अभिनंदन
लगभग अढ़ाई घंटा चले इस महाशक्ति अनुष्ठान में, 200 से अधिक लोगों ने पूर्ण श्रद्धा के साथ एक लय में विभिन्न मुद्राओं, बीजाक्षरों, स्वर विज्ञान और रंगों के साथ मंत्रों का लयबद्ध उच्चारण कर अपनी आत्मा को भावित किया।



सभाध्यक्ष राकेश छाजेड़ ने सभी समागतों का स्वागत किया और अनुष्ठान के सक्रिय सहयोग के लिए जितेन्द्र जी और विक्रम का अभिनंदन एवं सम्मान किया। मंत्री गुलाब बाँठिया, सुशील भंसाली (छापर), सुशील भंसाली, प्रकाश बोहरा और तेयुप व महिला मंडल की टीम ने सुंदर व्यवस्था में सक्रिय सहयोग दिया। कन्यामंडल से दिया छाजेड़, झलक रूणवाल, प्रज्ञा मरोठी, छवि नोलखा, व प्रेक्षा मरोठी को समवसरण के प्रतिरूप के निर्माण में उनके समय व श्रम नियोजन हेतु सराहा गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ साध्वी श्री के नमस्कार महामंत्र से हुआ और समापन साध्वीश्री के मंगलपाठ से सानंद संपन्न हुआ।
